हाल ही में जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक खत्म हुए हैं जहां भारत के लिए एकमात्र गोल्ड मेडल नीरज चोपड़ा लेकर आए हैं। नीरज ने भाला फेंक में गोल्ड मेडल हासिल किया और पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया। टोक्यो ओलंपिक में भारत में कुल 7 पदक जीते हैं जिसमें केवल एक गोल्ड पदक शामिल है। आज आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताते हैं जिसने 37 साल पहले एथलीट में भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीता था लेकिन आज शायद ही उनका कोई नाम जानता है। आज आपको उस शख्स के बारे में बताते हैं जिसने भाला फेंक में गोल्ड मेडल हासिल किया और इसके बाद एक गुमनामी के साए में चले गए। हम बात कर रहे हैं भारत के लिए गोल्ड मेडल लाने वाले सतनाम सिंह की। जिन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर एक इतिहास रचा था।
सरनाम सिंह ने 37 साल पहले जीता था गोल्ड मेडल
भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना बहुत अहम माना जाता है और इसी तर्ज पर हाल ही में टोक्यो ओलंपिक में हरियाणा के नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीता है जिन्हें काफी बधाइयां भी मिल रही है और साथ ही काफी इनामी पुरस्कार भी मिले हैं। 37 साल पहले 1984 में फतेहाबाद के रहने वाले सरनाम सिंह ने एशियाई खेलों में भाला फेंक में गोल्ड मेडल जीता था। सरनाम सिंह सेना अधिकारी रहे हैं जिन्होंने 20 साल की उम्र में राजपूत रेजीमेंट को ज्वाइन किया। सरनाम सिंह कद काठी में काफी लंबे थे इसलिए उनके एक साथी ने उन्हें एसिड बनने की राय दी इससे पहले 6 फिट 2 इंच के सरनाम सिंह ने 4 साल तक बॉस्केटबॉल खेला फिर एथलीट बनने का विचार किया। इसके बाद उन्होंने बास्केटबॉल छोड़कर भाला फेंक में अपना दम दिखाया।
1984 के दक्षिण एशियाई खेलों में जीता गोल्ड मेडल
सरनाम सिंह ने सेना की ओर से खेलना प्रारंभ किया और सन 1982 में एशियाई खेलों के लिए ट्रायल दिया था जिसमें वह पास हो गए इसके बाद 1984 में नेपाल में दक्षिणी एशियाई खेलों का आगाज हुआ था जहां सरनाम सिंह ने गोल्ड मेडल जीता। इसी खेल में सिल्वर मेडल जीतने वाले भी भारतीय थे। आपको बता दें कि 1984 में मुंबई के ओपन नेशनल गेम्स में भी इन्होंने हिस्सा लिया था। इसके बाद 1985 में जकार्ता में एशियन ट्रेक एंड फील्ड प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया था। भारत के लिए इतिहास रचने वाले सरनाम सिंह आज एक गुमनामी की ज़िंदगी जी रहे हैं