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तानो और संघर्षों से लड़ती हुई बनी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान

भारत को विश्व भर में संस्कृति के लिए जाना चाहता है लेकिन इसी भारत में आज भी काफी जगह पर लड़के और लड़कियों में काफी भेदभाव किया जाता है। लड़कियों को लड़कों से कम समझा जाता है और समाज के पुराने रीति रिवाज और पिछड़े परिवेश के कारण महिलाओं को घर में रहने की सलाह दी जाती है। शायद इसी कारण से महिलाएं समाज में पीछे रह जाती है। आज आपको ऐसी महिला के बारे में बताते हैं जिसने बचपन काफी गरीबी में गुजारा और इसके बाद खुद की मेहनत के दम पर आज भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं जिन्हें बचपन में हॉकी खेलने के लिए आसपास के लोग ताने मारा करते थे। आज वही लोग उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।

महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल का जीवन रहा है संघर्ष भरा

भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल हैं। रानी रामपाल के जीवन की बात करें तो उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में काफी मुसीबतों का सामना किया था। दरअसल रानी रामपाल हरियाणा की रहने वाली हैं और उनके पिता मजदूरी किया करते थे जिससे घर का गुजारा मुश्किल से हो पाता था लेकिन इसके बाद रानी ने हॉकी खेलने का फैसला किया और आज वह भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान है। रानी रामपाल सबसे कम उम्र में महिला हॉकी विश्वकप खेलने वाली खिलाड़ी भी हैं।

मिनी स्कर्ट पहनने के लिए लोग मारते थे ताने

रानी रामपाल ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब उसने हॉकी खेलना शुरू किया तो शुरुआत में आसपास के लोगों ने उन्हें कहा कि इस खेल में कुछ नहीं रखा पढ़ाई करो और फिर शादी करके अपने घर चली जाओ। इसके अलावा हॉकी खेलने के लिए जब रानी रामपाल छोटे कपड़े पहनती थी तो इसे लेकर भी गांव के लोग उन पर काफी ताने मारते थे। रानी रामपाल ने 14 साल की उम्र में पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था।

सबसे कम उम्र में विश्व कप खेलने वाली महिला खिलाड़ी

रानी रामपाल सबसे कम उम्र में विश्वकप खेलने वाली महिला हैं उन्होंने 2010 में 15 साल की उम्र में महिला विश्व कप खेला था और इसके बाद सबसे कम उम्र की युवा खिलाड़ी बन गई थी। 2009 के एशियाई खेलों में भारत को रजत पदक दिलाने में रानी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में और एशियाई खेलों में भारतीय टीम की हिस्सा रही। 2010 के एशियाई खेल में बेहतरीन प्रदर्शन के कारण एशियाई हॉकी महासंघ ने ऑल स्टार टीम में भी रानी को जगह दी थी। रानी रामपाल को वर्ष 2016 में अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था इसके बाद 2018 के एशियाई खेलों में रजत पदक जीता और आज वह भारत की हॉकी टीम की कप्तान है। आज खुद की मेहनत के दम पर यह मुकाम हासिल करने के बाद रानी रामपाल काफी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है।

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