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इस खिलाड़ी ने अलिम्पिक्स खेल के वक्त गले की चैन में डाल रखी थी ये चीज़, पता चला तो सब हो गये हैरान

हाल ही में जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक 2020 चल रहे हैं जिसमें विभिन्न देशों के खिलाड़ी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और अपनी जीत के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं इसी ओलंपिक में इंडिया की तरफ से भी काफी खिलाड़ियों ने भाग लिया लेकिन इंडिया कुछ ही पदक जीत पाया। इन जीते हुए पदकों में सबसे खास पदक हॉकी से मिला जो 41 साल के लंबे इंतजार के बाद भारतीय हॉकी टीम को मिला है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है लेकिन ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर पिछले 41 सालों से भारतीय पुरुष हॉकी टीम कोई भी पदक नहीं जीत सकी है लेकिन टोक्यो ओलंपिक 2020 में पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता है जो देश के लिए एक गौरव की बात है और इसके लिए पूरा देश जश्न मना रहा है।

छोटे से गांव के सुमित ने लॉकेट में लगाई स्वर्गीय मां की तस्वीर

भारत पुरुष हॉकी टीम की जीत का जश्न मना रहा है जो सपना 41 सालों बाद पूरा हुआ है। आपको बता दें कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जो ओलंपिक खेलने के लिए गई इसमें काफी सदस्य ऐसे थे जो छोटे-छोटे गांव से संबंध रखते हैं। इन्हीं खिलाड़ियों में एक नाम आता है हरियाणा के रहने वाले कुरार गांव के नागरिक सुमित का जिन्होंने इतिहास रचने वाली इस हॉकी टीम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जीत कर वापस घर आने के बाद सुमित ने बताया कि ओलंपिक में जाते समय उसने अपनी स्वर्गीय मां के तस्वीर अपने लॉकेट में डाली। जिससे उन्हें बहुत ताकत मिली और मैच में अपना शत प्रतिशत दे सके। भारतीय हॉकी टीम के जीत के बाद देश में लौटने पर बहुत ही गाजियाबाद जे के साथ स्वागत हुआ।

टीम के सदस्यों के गांव में बंटी मिठाइयां

ओलंपिक में जीत के बाद भारत के सभी गांव और शहरों में उत्साह का माहौल दिखा। जब भारतीय खिलाड़ी वापस देश लौटे तो उनके गांव में नाच गानों के साथ ढोल बजाते हुए बहुत ही शानदार स्वागत किया गया और पूरे गांव में मिठाइयां भी बांटी। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के सदस्य रहे सुमित के घर में खूब खुशियां आई सुमित के पिता प्रताप सिंह बड़े भाई जय सिंह ने बताया कि सुमित ने उनका नाम पूरे देश और विश्व में रोशन किया है। इसलिए उन्हें बहुत ही गौरवान्वित महसूस हो रहा है। सुमित ने अपने घर वालों के साथ फोटो भी खिंचवाई और कहा कि यह मेरे जीवन का सबसे अधिक खुशी का दिन है जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता और मैं हमेशा देश के हित में और खेल में पूरा योगदान देने की कोशिश करूंगा। सुमित के घर कभी हालत ऐसी हुआ करते थे कि उनके घर की छत से पानी भी टपकता था। ऐसे गरीबी में जीवन यापन करने के बाद बहुत मेहनत से सुमित इस मुकाम तक पहुंचे हैं जिससे सभी घरवाले और गांव वाले खुश नजर आ रहे हैं।

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