जैसे ही शादी की बात चलती है वैसे ही हर वर और वधु अपने दिल में बहुत से सपने संजो लेते है. हर दूल्हा और दुल्हन अपनी आने वाली जिन्दगी के बारे में सोच लेते है की उन्हें आगे कैसे रहना है क्या करना है. शादी के बाद दुल्हन की विदाई के समय माता पिता अपनी बेटी को और दुल्हे के घर वालो को कुछ न कुछ उपहार जरुर देते है. जिसको हम आम भाषा में दहेज़ कहते है. ये इसलिए देते है की उनकी बेटी का आने वाला जीवन खुशहाल हो और सुखी जीवन यापन कर सके.
लेकिन कहते है की जिस चीज का का उपयोग अच्छे उद्शय के लिए किये जाता है उसका दुरूपयोग भी होता है. आज के समय में लोगो ने लड़की वालों से दहेज़ को रिश्वत के रूप में लेना शुरु कर दिया है. अगर शादी करनी है तो कार गहने प्रॉपर्टी भी साथ में देनी पड़ेगी नहीं तो शादी तोड़ देंगे. ये सब प्रचालन में है. ऐसे में बहुत सी लड़कियां बिना शादी के रह जाती है , बहुत सी लड़कियों की तो जिन्दगी खराब हो जाती है. सरकार ने भी इसके लिए सख्त कानून बनाये है जिसकी वजह से ऐसे मामलो में एक हद तक कमी देखने को मिली है.
जब लड़के को दहेज़ का लगा पता
आज हम आपके सामने एक ऐसी खबर लेके आये है जिसमे दुल्हे ने उन परिवारों के लिए मिशल दी है जो परिवार अपनी दुल्हन के रूप ATM मशीन चाहते है. एक शादी हुई हरियाणा के सिरसा स्थति आदमपुर गाँव में. यहाँ कांता की शादी बालेन्द्र से हुई. रिश्ते के दौरान जब लड़के को पता चला की लड़की के घर वाले शादी के बाद अपनी बेटी को 4 करोड़ रूपए गहने और कार देने वाले है तो लड़के ने पहले ही शर्त रख दी की यह शादी तब ही होगी जब इस शादी को साधारण तरीके से किया जायेगा. जी हाँ लड़के ने एक रुपया भी दहेज़ लेने से मना कर दिया था.
लड़के ने कहा की उसको कुछ नही चाहिए बस लड़की और उसको आशीर्वाद दे देना. लड़की के घर वाले भी इस बात से मान गये. लड़का बिना ढोल बाजे और फिजूल खर्ची के कुछ रिश्तेदारों के साथ लड़की के घर गया.
शगुन के रूप में उसने अपने ससुराल वालों ने एक नारियल ओर मात्र एक रूपए की भेंट ली, जिसके बाद विवाह संपन्न हुआ और दूल्हा-दुल्हन अपने घर आ गए. इसके बाद आस पास के इलाके में खबर फ़ै ल गयी पता चला की दूल्हा चूलीखुर्द गांव का है और दूल्हे के पिताजी का नाम छोटू राम खोखर और माताजी का नाम संतोष है. गाँव वालों का कहना है की बलेंद्र बहुत ही समझदार है और उसके घर वाले भी दिखावे में विश्वास हीं करते. बलेंद्र उन सभी लड़कों के लिए मिसाल है जो दहेज़ के लिए शादी करते है. बलेंद्र की सादगी देखकर गाँव के बहुत लोग खुश है, बलेंद्र और उसकी पत्नी कांता की जोड़ी इस गाँव ही नहीं बल्कि देश के लिए एक मिसाल है.