कौन कहता है कि गांव के गरीब लड़के करोड़पति नहीं बन सकते अगर इंसान मेहनत करें तो वह जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकता है। आज हम आपके सामने एक ऐसी ही कहानी लेकर आए हैं जिसमें एक गांव का गरीब लड़का अपनी मेहनत के चलते करोड़पति बन गया। हम बात कर रहे हैं उड़ीसा में रहने वाले किशोर पात्रा की। किशोर का गांव में एक छोटी सी रेस्टोरेंट टाइप दुकान थी जिसमें वह थोड़े बहुत चाट पकौड़ी बेचा करते थे। उनके परिवार का सारा खर्च इसी दुकान से चलता था। किशोर ने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उन्होंने बताया कि साल 2000 में साइक्लोन में उनकी पूरी दुकान फूट गई थी।
उड़ीसा में दुकान छोड़ पूना शिफ्ट हो गए
किशोर बताते हैं कि वह उड़ीसा छोड़कर पूरा अपने भाई के पास चले गए वहां वह अपनी भाई की कंपनी में नौकरी करने लग गए। लगभग 3 4 साल के बाद वह कंपनी के ऑल एंड सेल्स मैनेजर बन चुके थे। लेकिन किसी कारण से कुछ समय बाद इनकी यह नौकरी छूट गई। फिर इनके भाई की कंपनी के मैनेजर ने इन्हें मुंबई बुलाया और वह मुंबई चले गए।
क्रेडिट कार्ड सेलिंग की जॉब मिली
किशोर ने आगे बात करते हुए बताया उन्हें साल 2004 में मुंबई में क्रेडिट कार्ड सेल करने की जॉब मिली। उस समय लोगों को ज्यादा क्रेडिट कार्ड के बारे में पता नहीं था। इस काम में उनकी सैलरी काफी कम थी इसके बाद उन्होंने सोचा कि हम दूसरों के लिए काम क्यों करें खुद का कुछ शुरू करते हैं। लेकिन उनके पास कुछ आईडिया नहीं था कि वह क्या काम शुरू करें काफी सोचने के बाद उन्हें लगा कि स्कूल और शिक्षा के मामले में काफी अच्छी इनकम और प्रॉफिट हो जाता है तो इसी चक्कर में कुछ काम शुरु करते हैं।
इको फ्रेंडली पेंसिल का शुरू किया काम
किशोर ने बताया कि उन्हें काफी सोचने के बाद इको फ्रेंडली फैंसी का काम शुरू किया। उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर इस काम को आगे बढ़ाया। यह काम करने के साथ-साथ वह जो भी करते थे उन्होंने सोचा कि जब अपनी जॉब जितनी सैलरी वह कमाना शुरू कर देंगे तब वह अपनी जॉब छोड़ देंगे।
आज करते हैं सैकड़ों लोग उनके लिए काम
किशोर ने अपने इस काम में इतनी मेहनत और लगन लगाई की वह इस काम में काफी सफल हो गए और आज उनके लिए हजारों लोग यह काम करते हैं। उन्होंने अपनी खुद की कंपनी खड़ी कर ली जो इको फ्रेंडली पेंसिल बनाती है।