बॉलीवुड के इतिहास में काफी महान कलाकार हुए हैं ऐसे ही एक कलाकार जिनका नाम कादर खान है। कादर खान एक बेहतरीन कलाकार के साथ साथ लेखक गायक और डायरेक्टर भी रहे हैं। कादर खान का बचपन गरीबी में बीता है। उनके माता-पिता अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से भारत आए थे। इसके बाद उन्होंने कमाठीपुरा में एक झोपड़ी पट्टी इलाके में शरण ली। यहां कादर खान का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा जहां दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती थी। इतनी गरीबी के बाद भी कादर खान ने खुद की मेहनत के बदौलत इतना बड़ा मुकाम हासिल किया।
कॉलेज में नाटक में निभाते थे किरदार
पूरा बचपन गरीबी में गुजारने के बाद कादर खान ने अपनी पढ़ाई को रुकने नहीं दिया। कादर खान की पढ़ाई करवाने में सबसे बड़ी भूमिका उनकी मां की थी जिन्होंने जैसे तैसे मजदूरी करके उनकी पढ़ाई पूरी करवाई और उसके बाद कॉलेज में भी दाखिला करवाया जब कादर खान को ले जाने लगे तो उस समय कॉलेज में नाटक हुआ करते थे कादर खान भी नाटकों में भाग लेते थे और धीरे-धीरे वह नाटक के लिए स्क्रिप्ट भी लिखने लगे। एक बार जब कादर खान ने एक नाटक की स्क्रिप्ट लिखी तो वह नाटक इतना बेहतरीन साबित हुआ कि उसने हर क्षेत्र में सारे नाम जीते थे और जीत के तौर पर कादर खान को ₹1500 का इनाम मिला था।
सिने प्राइम मीडिया से इंटरव्यू के दौरान कादर खान ने स्वयं यह किस्सा साझा किया जिसमें उन्होंने बताया कि “ऑल इंडिया ड्रामेटिक कंपटीशन में मेरा एक नाटक हुआ जिसका नाम था, लोकल ट्रेन। उस प्ले को ऑल इंडिया बेस्ट प्ले का अवॉर्ड दिया गया। उसे बेस्ट राइटर, बेस्ट एक्टर, बेस्ट डायरेक्टर के सारे अवॉर्ड मिले। और मुझे नकद पुरस्कार पंद्रह सौ रुपए एक साथ मिले।”
कादर खान ने आगे बात को बढ़ाते हुए कहा “मैंने जिंदगी में पहली बार पंद्रह सौ रुपए एक साथ देखे थे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था, मेरे पैर ज़मीन पर कांपने लगे कि पंद्रह सौ रुपए मेरे हाथ में। तीन सौ रुपए पाने वाला पंद्रह सौ रुपए एक साथ पाए तो क्या हाल होगा उसका।”
आपको बता दें कि इसी मौके के बाद कादर खान की जिंदगी बदल गई। उस समय इस नाटक का फैसला सुनाने वाले जज में एक डायरेक्टर नरेंद्र बेदी भी थे। जिन्होंने कादर खान को अपने पास बुला कर अपनी एक फिल्म के लिए डायलॉग लिखने के लिए कहा। यहीं से कादर खान के कैरियर की शुरुआत हुई और आगे जाकर उन्होंने काफी नाम कमाया।
कादर खान हमारे हिंदी सिनमा के अनमोल हीरा है जिनकी बराबरी कर पाना किसी की बस में नही है। लेकिन उनके बेटे ने गोविन्दा के बारे में बात करते हुए कहा की गोविन्दा कादर के काफ़ी ख़ास थे लेकिन बावजूद इसके वो कादर खान की अंतिम दिनो में उनसे मिलने तक नही आए।