भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त के दिन बहुत ही शानदार तरीके से लाल किला पर झंडा फहराते नजर आ रहे थे। पूरा भारतवर्ष इस दौरान नरेंद्र मोदी के ऊपर नजर जमा कर बैठा हुआ था क्योंकि जिस शानदार अंदाज में उन्होंने सबके सामने भाषण दिया वह भी लोगों को बहुत पसंद आया। लेकिन आजादी के कुछ पलों के बाद ही अब नरेंद्र मोदी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है जिससे वह बहुत परेशान हो गए हैं क्योंकि उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को खो दिया है जो भारत देश को आगे बढ़ाने में काफी अहम योगदान दे रहा था। आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी हमेशा ही ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने का काम करते हैं जो जमीनी स्तर पर शानदार कार्य करते हैं। आइए आपको बताते हैं आखिर नरेंद्र मोदी के साथ रहने वाले किस व्यक्ति ने दुनिया को अलविदा कह दिया है जिसकी वजह से उनकी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
नरेंद्र मोदी के खास बिंदेश्वर पाठक ने कह दिया दुनिया को अलविदा, 80 वर्ष की उम्र में ली उन्होंने आखिरी सांस
नरेंद्र मोदी ने भारत को स्वच्छ बनाने का जो सपना देखा था उसमें उनके खास व्यक्ति बिंदेश्वर पाठक ने अहम योगदान दिया था। बिंदेश्वर पाठक को भारत का टॉयलेट मैन भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत के लिए हजारों सुलभ शौचालय का निर्माण करवाया था। इसी वजह से बिंदेश्वर पाठक को कई सरकारी सम्मान भी दिया जा चुका था और हर कोई उनकी इस उपाधि की खूब तारीफ करता नजर आता था। लेकिन अब आजादी के तुरंत बाद महान शख्स के बारे में यह जानकारी सामने आई है कि वह बस 80 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं। आइए आपको बताते हैं बिंदेश्वर पाठक आखिर किस वजह से सिर्फ 80 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को छोड़ कर चल बसे हैं।
बिंदेश्वर पाठक के दुनिया को छोड़कर जाने की यह थी वजह, नरेंद्र मोदी कर रहे हैं अब उन्हें याद
नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने में अहम योगदान देने वाले बिंदेश्वर पाठक के बारे में आजादी के अगले दिन जिस किसी को भी यह खबर मिली है कि वह इस दुनिया में नहीं रहे तब किसी को भी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है। लेकिन आपको बता दे कि यह बात पूरी तरह से सच है और मात्र 80 वर्ष की उम्र में इस शख्स ने अपनी अंतिम सांस ली है। हाल ही में इस बात की जानकारी भी सामने आ गई है कि विंदेश्वर पाठक ने आखिर किस वजह से इस दुनिया को अलविदा कहा है। उनके इलाज करने वालों के मुताबिक बिंदेश्वर पाठक की दिल की धड़कन अचानक से रुक गई थी और सही समय पर उन्हें इलाज नहीं मिल सका जिसकी वजह से ही 80 वर्ष की उम्र में वह चल बसे। जिस किसी ने भी इस दिग्गज के बारे में यह सुना है कि वह इस दुनिया में नहीं रहे तब सभी लोग अपने आंसू बहा रहे हैं और यह कह रहे हैं कि भारत को स्वच्छ और सुंदर बनाने में उनका अहम योगदान था।