रतन टाटा भारत के एक ऐसे उद्योगपति हैं जो बड़े ही शानदार तरीके से अपने टाटा साम्राज्य को आगे की तरफ बढ़ाते नजर आ रहे हैं। बात चाहे औद्योगिक क्षेत्र की हो या फिर ऑटोमोबाइल सेक्टर की हो हर जगह पर टाटा मोटर्स का दबदबा छाया रहता है। हालांकि कुछ समय पहले तक टाटा के बारे में यह बात कही जाती थी कि इसमें अनुभवी और बुजुर्ग व्यक्तियों को ज्यादातर तवज्जो दी जाती है लेकिन इस बात को गलत कर दिखाया है माया टाटा ने जो महज 34 साल की उम्र में ही टाटा की कंपनी की मुख्य हिस्सेदार बन चुकी है और साथ में वह व्यवसाय के हित में कई ऐसे फैसले ले रही है जो कंपनी को काफी आगे की तरफ ले जा रही है। आइए आपको बताते हैं कौन है माया टाटा जिनका रतन टाटा के साथ बहुत खास रिश्ता है और उनके बारे में कुछ अहम जानकारियां सबको लगी है जिसकी सभी लोग खूब तारीफ करते नजर आ रहे हैं।
माया टाटा का है टाटा ग्रुप से खास रिश्ता, रिश्ते में लगती है सौतेली भतीजी
रतन टाटा की कंपनी टाटा ग्रुप में इन दिनों माया टाटा का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। माया टाटा के बारे में आपको बता दे कि वह रिश्ते में रतन टाटा की सौतेली भतीजी लगती है। उनके सौतेले भाई की बेटी होने के नाते व्यवसाय में उनका लगभग 19% का हिस्सा है और बहुत ही शानदार तरीके से वह अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए टाटा कंपनी को आगे की तरफ बढ़ा रखी है। कई बड़े बोर्ड मीटिंग में भी माया टाटा को बुलाया जाता है और खुद रतन टाटा भी उनकी तारीफ कई मौका पर कर चुके हैं। आइए आपको बताते हैं माया टाटा ने आखिर किस चीज की पढ़ाई की है और कैसे वह टाटा ग्रुप को काफी आगे बढ़ा रही है।
टाटा ग्रुप को आगे बढ़ाने में है माया टाटा का अहम योगदान, की है इतनी तक पढ़ाई
माया टाटा का नाम इन दिनों टाटा ग्रुप में सबसे ज्यादा चर्चा में छाया हुआ है। आपको बता दे कि ब्रिटेन से उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है और इसी वजह से उन्हें व्यवसाय का अच्छा खासा नॉलेज है। फंड के डायनामिक सूत्रों को भी वह अच्छे तरीके से समझ पाती है और इसी वजह से रतन टाटा खुद भी कई मौके पर उनसे अहम सलाह लेते है। हर किसी का इस मौके पर यही कहना है कि वाकई में टाटा ग्रुप आज जिस ऊंचाई पर है उसमें अनुभवी लोगों का हाथ तो है ही साथ में माया टाटा जैसी युवा एंटरप्रेन्योर का भी अहम योगदान है। इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी माया खुद को सोशल मीडिया से बहुत दूर रखती है। खुद माया टाटा का मानना है कि जो काम अकेले में व्यक्ति कर सकता है उसे जग जाहिर करने से कोई फायदा नहीं होता है और इसी वजह से वह टाटा ग्रुप को निरंतर ऊंचाई पर पहुंचने का प्रयास करती है और उसके लिए वह कई सार्थक कदम भी उठा चुकी है जिसमें उन्हें सफलता मिली हुई है।