इसरो इन दिनों लगातार सफलता की सीढ़ियों को चढ़ रहा है और लगातार सफलता को प्राप्त करता नजर आ रहा है।आपको बता दे कि सिर्फ 630 करोड रुपए के बजट में जब इसरो ने चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया उसके बाद तो पूरी दुनिया में भारत की जय जयकार होने लगी थी। इसरो अपनी इस सफलता के बाद यहीं पर नहीं रुकी बल्कि उसके बाद इसरो ने आदित्य l1 का निर्माण किया जो सूर्य का परीक्षण करने के लिए लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर जाने वाला था। किसी को भी इस बात का यकीन नहीं था कि भारत एक पहला ऐसा देश बनेगा जो सूर्य का परीक्षण करने के लिए निकलेगा लेकिन बहुत ही शानदार तरीके से इसरो ने आदित्य एल 1 को लांच कर दिया है। आइए आपको बताते हैं इस महत्वपूर्ण यान को बनाने में किसका सबसे ज्यादा योगदान है जिस महिला की जानकारी अब सबके सामने आ गई है और सभी लोग इस महिला के गुण गाते हुए नजर आ रहे हैं।
प्रिया शर्मा ने बनाया है आदित्य L1 का हार्ट, कम उम्र में ही हासिल कर लिया है यह मुकाम
आदित्य l1 जब से लांच हुआ है उसके बाद से पूरी दुनिया की नजर इस पर बनी हुई है। यह सूर्य के अंदर खगोलीय ऊर्जा की जांच करेगा और काफी सारे ऐसे गुण को पता करेगा जो भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं। आपको बता दें कि इस महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम देने के लिए प्रिया शर्मा का नाम सबसे ऊपर सामने आया है जिन्होंने एक प्राइवेट कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग किया था। इंजीनियरिंग के पश्चात इंदौर के एक कॉलेज से उन्होंने अपनी एम टेक की पढ़ाई पूरी की जिसकी वजह से उन्हें इसरो में आने का मौका मिला। आइए आपको बताते हैं आदित्य l1 को सफल बनाने में कैसे प्रिया शर्मा का अहम योगदान रहा है।
प्रिया शर्मा के बिना अधूरा था आदित्य एल 1, बड़े वैज्ञानिकों में नाम होता है उनका शामिल
इसरो की मशहूर वैज्ञानिक प्रिया शर्मा का नाम इन दिनों लोगों की जुबान पर शामिल हो चुका है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि आदित्य एल 1 में जो उन्होंने एमिशन लाइन बनाया है वह इस मिशन में बहुत कारगर साबित होने वाला है। बताया जा रहा है कि इसके बिना आदित्य l1 पूरी तरह से अधूरा है जिसकी वजह से ही प्रिया शर्मा के नाम पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इस लाइन को आदित्य एल 1 का दिल भी कहा जा रहा है जिसकी वजह से ही लोग प्रिया शर्मा की उपलब्धि की और भी तारीफ करते नजर आ रहे हैं। इस यान के बारे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि यह 110 से लेकर 120 दिनों के बीच यह सूर्य के कक्ष में बैठेगा जिसके बाद गहन बिंदुओं पर जांच होगी। जिस किसी ने भी इस महिला वैज्ञानिक के बारे में जाना है तब सभी लोग उनकी खूब तारीफ करते नजर आ रहे हैं और यह कह रहे हैं कि उन्होंने जिस संघर्ष के बाद इस मुकाम को पाया है उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है और ऐसा कह कर सभी लोग यह कह रहे हैं कि आज महिला किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है।