मेहनत और ईमानदारी की कहानियां कभी भी हमें असफल नहीं होने देती . अगर हम सफलता चाहते हैं तो हमें मेहनत और ईमानदारी दोनों को साथ में लेकर चलना होता है। अमांपुर के खेड़ा निवासी शीला देवी जिनकी उम्र 62 वर्ष बताई जा रही है उन्हें लोग , उनकी मेहनत और ईमानदारी के लिए सलाम कर रहे हैं।
शीला अपने पिता रामप्रसाद की सबसे बड़ी संतान है . उनकी शादी 1980 में आपगढ़ के रामप्रकाश के साथ करवा दी गई थी . शादी के केवल 1 वर्ष बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई . असमय पति की मृत्यु का सदमा मिलने के बाद शीला अपनी बुआ के घर जाकर रहने लगी . पति का साथ छूट जाने के बाद भी किस्मत ने शीला का साथ नहीं दिया और कुछ वक्त बाद ही शीला के ऊपर से पिता का साया भी उठ गया . घर की सबसे बड़ी संतान होने के कारण उनके ऊपर घर की सभी जिम्मेदारियां आ गई थी।
लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं आ रही और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया . शीला कभी भी किसी पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहती थी . इसी कारण उन्होंने साइकिल पर सवार होकर दूध बेचना शुरू कर दिया। उम्र को मात देकर आत्मनिर्भर बनने की उन्होंने बेहतरीन मिसाल कायम की है . उन्होंने कभी भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया और समाज के ताने सुनकर अपने घर की दहलीज को पार किया।
अपने गांव खेड़ा से करीब 6 किलोमीटर दूर अमापुर में वह साइकिल से दूध बेचती हैं और अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं . दूध बेचने के शुरुआती दौर में उनके पास केवल दो पशु थे लेकिन अगर हम आज की बात करें तो उनके पास पांच पैसे हैं और इनका ध्यान वह पूरी तरह से खुद ही रखती हैं।
वह अपने गांव में पिछले 25 वर्षों से पशुपालन कर रहे हैं . उन्होंने समाज में अपनी एक अलग पहचान कायम कर ली है . शीला का उद्देश्य अगर हम उनसे पूछे तो वह कहती हैं कि उनका उद्देश्य महिला सशक्तिकरण है।
आगे शीला कहती हैं कि उन्हें आज तक किसी सरकारी सेवा या योजनाओं का लाभ नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें पेंशन मिलती थी लेकिन अब वह भी बंद हो गई है। शीला ने कई सरकारी योजनाओं में अपना कई बार रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन इस योजना का लाभ उन तक कभी नहीं पहुंच पाया . शीला ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिला अधिकारी महोदय से योजनाओं का लाभ मिलने की गुहार लगाई है .