मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती, इसी पर आधारित एक कहानी है रायपुर में रहने वाले धर्मेश की। रमेश ने गांव के गरीब किसान के घर में जन्म लिया। अपनी जवानी के दिनों में उन्होंने अखबार में पढ़ा की इंडिया में पायलट की काफी कमी है तभी उन्होंने निश्चय किया कि वह पायलट बनेंगे। उन्होंने 2007 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई रायपुर से कंप्लीट की, उसके बाद वो है 2008 में पायलट की ट्रेनिंग करने अमेरिका चले गए। 1 साल की ट्रेनिंग के बाद जब है अपने स्वदेश लौटे तो स्थिति बदल चुकी थी, यहां काफी पायलट कंपनियां बंद हो चुकी थी उनके लिए काम की कोई उम्मीद नहीं थी। तब वह गांव में रहकर ही खेती करने लगे। उनके रिश्तेदारों और दोस्तों ने उन्हें काफी ताने मारे कि अगर खेती ही करनी थी तो अमेरिका जाकर पैसे क्यों बर्बाद किए। लेकिन उन्होंने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वह तानो का जवाब अपने काम से देना चाहते थे। जल्दी ही उनकी जॉइनिंग इंडिगो में हो गई ट्रेनिंग के लिए दोहा कतर चले गए। कुर्मी समाज के एक वार्षिक अधिवेशन उनका सम्मान भी हुआ इसी दौरान धर्मेश ने अपनी सक्सेस स्टोरी लोगों के सामने शेयर की।
धान गेहूं और चना उत्पादन कर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया।
धर्मेश जब अमेरिका से लाइसेंस लेकर स्वदेश वापस लौटे तो यहां स्थिति पूरी तरीके से बदल चुकी थी। काफी एयरलाइंस कंपनियां बंद हो चुकी थी। काफी सीनियर पायलट खुद काम की तलाश में इधर-उधर घूम रहे थे। ऐसे में धर्मेश को काम मिलना काफी मुश्किल था। तो उन्होंने गांव में रहकर ही खेती करने का निश्चय किया। हालांकि कुछ दोस्तों रिश्तेदारों ने उनको काफी ताने मारे लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य से मुंह नहीं मोड़ा। धर्मेश ने खेती कर इतने पैसे कमा लिए थे जॉब लगने के बाद दोहा कतर में हुई ट्रेनिंग पर खर्च हुए 20 लाख रुपए की भरपाई आसानी से हो गई। क्योंकि उनके पास डिग्री थी खेती करने के साथ प्रयास भी करते रहे अंत में उन्हें इंडिगो में जॉब मिल गई। जल्द ही वो ज्वाइन करने वाले थे शुरुआती दौर में उन्हें सालाना 29 लाख रुपए का पैकेज मिला उसके साल भर बाद ही यह राशि 40 से 45 लाख रुपए हो गई।
धर्मेश ने अमेरिका में फ्लाइट चेक के दौरान 270 घंटे की उड़ान भरी, इसके अलावा उन्होंने सिम्युलेटर पर भी टेस्ट दिए। सिम्युलेटर एक तरह से कॉकपिट का डेमो है जिसमें एक्चुअल की सॉरी इमरजेंसी प्रैक्टिस करवाई जाती है। इसमें तमाम तरह की डिफिकल्टीज का सामना करना पड़ता है। थ्योरी पाठ को प्रायोरिटी दी जाती है। इंडिया में पायलट बनने के लिए 12वीं प्लस मैथ और फिजिक्स जरूरी है साथ में इंग्लिश की जानकारी होनी भी चाहिए क्योंकि टावर के जरिए इंग्लिश में ही बात होती है।