अक्सर हमें सिखाया जाता है की हमें किसी की मज़बूरी का मजाक नही बनाना चाहिए, अगर कोई व्यक्ति किसी का मजाक बनाता है तो उसका फल उसको जरुर मिलता है. ऐसा ही मामला अभी हाल ही में सामने आया है. आपको बतादे एक BDO जिसने एक विकलांग व्यक्ति को नौकरी नही दी थी उसी BDO का अफसर बनकर ये विकलांग व्यक्ति वापस लौटा है. अगर आपको आगे का किस्सा जानना है तो हमारा ये आर्टिकल पूरा पढियेगा हमने इसमें विस्तार से इस किस्से के बारे में बताया है.
क्या है पूरा मामला?
जो व्यक्ति कुछ करने की इच्छा रखता है उस व्यक्ति को चाहे लाख चुनौतियाँ भी आजाए तो वो व्यक्ति हार नही मानता है. सक्सेस पाना आसन नही होता लेकिन इसको पाने के बादमे जो सुकून मिलता है उस सुकून का वर्णन करना भी बहुत मुश्किल है. आज का मामला भी कुछ ऐसा ही है आज हम बात करेंगे मनीराम शर्मा की जो की एक आईएएस अफसर है.
मनीराम शर्मा एक गरीब परिवार से आते है जहाँ खाना पकाने के लिए भी मनीराम के परिवार को काफी संघर्ष करना पड़ता था. मनीराम के पिता रोज की दिहाड़ी पर मजदूरी करते थे वही माता की बार करें तो माता की आखो की रौशनी जा चुकी थी. खुद मनीराम भी विकलांग श्रेणी में आते थे. मनीराम को बहरेपन की बीमारी थी उनको दोनों कानो से सुनाई नही देता था.
मनीराम एक जिद्दी व्यक्ति थे उनको जिद थी तो सक्सेस की. मनीराम ने दिन रात मेहनत करी और उन्हों UPSC को क्लियर किया. आपको पता ही होगा की UPSC सबसे कठिन परीक्षा होती है देश की. मनीराम का कुछ कर गुजरने का जज्बा ही उनको औरो से अलग बनाता है. मनीराम शुरू से ही होशियार विद्यार्थी रहे है.
उन्होंने दसवी और बारवी की परीक्षा में भी अच्छा स्थान हासिल किया था और पुरे राज्य में पांचवे स्थान पर आये थे. मनीराम का स्कूल घर से काफी दूर था ऐसे में बस ही वहां जाने का एक मात्र साधन था लेकिन आर्थिक स्थिती कमजोर होने के कारण मनीराम पैदल ही अपने स्कूल जाया करते थे.
मनीराम पुराने दिन याद करते हुए बताते है की एक वक़्त था जब यहाँ के BDO ने मुझे विकलांग समझकर नौकरी नही दी थी, उस वक़्त मेरे आत्ममान को काफी ठेस पहुंची थी लेकिन आज मै उसी जगह बतौर अफसर काम कर रहा हूँ ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है. हालांकि अब BDO और मनीराम की काफी अच्छी तालमेल है.
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