जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक धाम है विश्व हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। भगवान विष्णु जगन्नाथ पुरी में भोजन करते और रामेश्वरम में विश्राम करते। जगन्नाथ के मंदिर में तीन बड़ी मूर्तियां हैं जिसे एक भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलराम, बलभद्र तथा उनकी बहन सुभद्रा तीनों की काठ मूर्तियां है। प्राचीन हिंदू की मान्यता के अनुसार सात पवित्र नदियां हैं जिनमें से एक पूरी भी है जो कि उड़ीसा में स्थित हैं। जगन्नाथ पुरी की यात्रा में भी लाखों भक्त उपस्थित होते हैं।
कृष्ण का दिल
माना जाता है कि भगवान कृष्ण के दे हत्या के बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया जिसमें उनका पूरा शरीर नष्ट हो गया सिवाय उनके हृदय के। आज भी जीवित माना जाता है। और माना जाता है कि वह आज भी जगन्नाथ की मूर्ति में इसी तरह धड़कता है।
हर हर 12 साल में इस मंदिर की मूर्तियां बदली जाती मूर्तियां बदलते समय पूरे शहर की बिजली काट दी जाती मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था सीआरपीएफ के हवाले कर दी जाती है। मूर्तियां बदलने वाले पुजारी के हाथ में दास्ताने होते हैं। और वह तेरे होने के बावजूद भी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर मूर्तियां बदलते हैं। लेकिन मूर्ति के अंदर स्थित उस ब्रहम पदार्थ को ऐसे ही दूसरी मूर्ति में ट्रांसफर कर दिया जाता है। श्री कृष्ण का दिल माना जाता है। माना जाता है कि अगर कोई उसे देख लेगा तो वह जिंदा नहीं बन सकता। इसलिए आज तक उसका रहस्य कोई नहीं जान पाया है।
सिंह द्वार
एक हफ्ता के अनुसार माना जाता है कि इस मंदिर का एक सिंह द्वार है जिस में कदम रखते हैं। आप को बाहर से सभी आवाज आना बंद हो जाती हैं। दरवाजे के बाहर आप समुद्र की लहरों की आवाज़े चिताओं की गंधक भी सूँघ सकते हैं लेकिन माना जाता है कि जैसे ही आप द्वार के अंदर प्रवेश करते हैं लहरें की आवाज आना बंद हो जाती हैं। चिताओं की गंध भी नहीं आती। यह भी एक रहस्य है जो जगन्नाथ मंदिर में बना हुआ है जिसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता।
कोई पक्षी नहीं उड़ता
ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर के शिखर के ऊपर से कोई परिंदा या पक्षी नहीं उड़ता जिस वजह से यहां से किसी हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर का उड़ना भी मना हैं। पर ऐसा क्यों होता हैं ये अभी तक रहस्य बना हुआ हैं।
परछाई नहीं बनती
यह मंदिर लगभग चार लाख वर्ग फुट के क्षेत्रफल में फैला हुआ है जिसकी ऊंचाई 214 फीट हैं। ऐसा देखा गया है कि दिन का कोई भी समय हो लेकिन इस मंदिर की परछाई नहीं बनती इसके पीछे की वजह क्या है। इसे कोई नहीं जानता यह एक रहस्य बना हुआ है।
सुदर्शन चक्र
माना जाता है कि जगन्नाथपुरी में जितने भी मंदिर है उन सभी पर लगे सुदर्शन चक्र कुछ जिसमें तरफ से आप देखेंगे ऐसा लगता है मानो उसका मुंह आप ही की तरफ हैं। लेकिन ऐसा सिर्फ पूरी शहर में ही होता है भारत के और दूसरे मंदिरों में ऐसा नहीं होता। इसके पीछे की वजह क्या है।यह जानना लोगों के लिए बहुत मुश्किल है।
प्रसाद खत्म नहीं होता
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में कितने भी भक्तों क्यों ना आ जाए इसका प्रसाद कभी खत्म नहीं होता और जैसे ही मंदिर का द्वार बंद करने का समय आता है। प्रसाद खुद खत्म हो जाता है। प्रसाद कभी बेकार नहीं जाता और ना ही कभी श्री भक्त के लिए कम पड़ता है।
सबसे बड़ा रसोई
ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर का रसोई दुनिया का सबसे बड़े रसोइयों में से एक है जिसमें 500 रसोईया काम करते हैं तो 300 उनके सहयोगी है। मंदिर का प्रसाद सात बर्तनों में बनाया जाता है जिसे लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है। सभी बर्तनों को एक साथ एक केे ऊपर एक रख दिया जाता है लेकिन सबसेेे पहले सबसेे ऊपर केे बर्तन का प्रसाद बनकर तैयार होताा है। ऐसा क्यों होता है। यह कोई नहीं जानता।