यूपीएससी की परीक्षा भारत के सबसे कठिन परीक्षा में से एक मानी जाती है। इस परीक्षा को पास करना काफी मुश्किल होता है लेकिन यह बात सच है कि अगर किसी में सपनों की उड़ान भरने का दम हो तो वह कठिन से कठिन डगर को भी आसानी से पार कर लेता है और हाल ही में ऐसी ही कहानी देखने को मिल रही है पवन कुमार कुमावत की जिसने यूपीएससी की परीक्षा इतने संघर्षों के बाद पार की है कि लोग उसकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। पवन कुमार कुमावत ने जितने लंबे लंबे संघर्षों के बाद इस कठिन डगर को पार किया है उसको देखकर हर कोई उन्हें सलामी देता हुआ नजर आ रहा है और आइए आपको बताते हैं कैसे ट्रक ड्राइवर के बेटे ने अब अपने जिले में ऐसा कमाल कर दिखाया है कि हर कोई इस युवक की मिसाल पेश कर रहा है और यह कहते नजर आ रहा है कि पवन ने अपने पिता के मेहनत को सार्थक कर दिखाया।
पवन कुमार कुमावत लालटेन की रोशनी में करते थे पढ़ाई, दादी को बताया अपना आदर्श
राजस्थान के नागौर जिले में रहने वाले पवन कुमार कुमावत की कहानी इन दिनों हर किसी के लिए एक मिसाल साबित हो रही है। दरअसल पवन कुमार कुमावत के पिता पेशे से एक ट्रक ड्राइवर हैं और इसी से वह अपने घर की आजीविका चलाते हैं लेकिन जब वह गांव में रहते रहते थे तब उनके बेटे को पढ़ाई में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और इसी वजह से अपने बेटे की अच्छी परवरिश के लिए उन्होंने अपनी जन्म भूमि त्याग दिया। पवन कुमार कुमावत ने खुद बताया कि उनके लिए इस परीक्षा को पास करना बिल्कुल भी आसान नहीं था लेकिन उन्होंने बताया कि उनकी दादी से वह बचपन से ही धार्मिक कहानियां सुनते थे जिनसे उन्हें प्रेरणा मिलती थी और आइए आपको बताते हैं कैसे लालटेन की रोशनी में पवन कुमार कुमार घंटे तक अभ्यास किया करते थे।
लालटेन की रोशनी में पूरी करते थे अपनी पढ़ाई, संघर्षों की दास्तान जीत लेगी आपका दिल
पवन कुमार कुमावत हाल ही में इन दिनों उन युवकों के लिए मिसाल बन चुके हैं जो किसी न किसी असफलता की वजह से अपने सपनों की उड़ान को छोड़ देते हैं। दरअसल पवन कुमार कुमावत जहां पर रहते थे वहां पर बिजली की काफी समस्या थी और रह-रहकर वहां पर बिजली चली जाती थी जिसकी वजह से पवन ने घर पर लालटेन में घंटों तक अभ्यास किया था और खुद पवन ने बताया कि उनके पास पैसे के साधन नहीं था जिससे वह महंगे कोचिंग को ज्वाइन कर सकते थे और इसी वजह से वह घर पर ही लालटेन की रोशनी में अभ्यास करते थे और साथ में उन्होंने यह भी बताया कि 2006 में गोविंद जायसवाल नाम के एक युवक का यूपीएससी में चयन हुआ था जिसके पिता रिक्शा चालक थे और उसी को देखकर उन्होंने मन में ठान लिया था कि वह अपने पिता के त्याग को जरूर सार्थक कर दिखाएंगे और आखिरकार पवन कुमार कुमावत ने वह मिसाल पेश कर दी जिसको देखकर उनके माता-पिता खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं।