कहा जाता है कि असफलता किसी भी सफलता की पहली सीढ़ी होती है। किसी भी व्यक्ति के परिणाम से उसके क्षमता का आकलन नहीं लगाना चाहिए क्योंकि कुछ व्यक्ति को एक ऐसे ठोकर की जरूरत होती है जिसके लगते ही उसकी पूरी दुनिया बदल जाती है। पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले में रहने वाले आशु सिंह की कहानी कुछ ऐसी ही संघर्षों की दास्तान को बयां कर रही है जिसको सुनकर लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं और यह कहते नजर आ रहे हैं कि आशु सिंह ने जो कर दिखाया है वह वाकई में काबिले तारीफ है क्योंकि जिस तरह से एक समय में गांव वालों ने उनका मजाक बनाया था उनकी जगह कोई और होता तो वह टूट कर बिखर जाता है लेकिन आइए आपको बताते हैं कैसे आशु सिंह आज उन्ही गांव वालों के सामने ऐसी मिसाल पेश कर रहे हैं कि लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.
आशु सिंह के जज्बे को सलाम कर रहे हैं सभी, 12वीं में हो गए थे फेल
पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले में रहने वाले आशु सिंह की दास्तान इन दिनों जो कोई भी सुन रहा है तो वह उनकी तारीफ करते नहीं थक रहा है। दरअसल आशु सिंह ने जब 12वीं की परीक्षा दी थी तब उस परीक्षा में वह दो विषयों में फेल हो गए थे और उसके बाद उन्हें काफी मजाक और अपमान को सहना पड़ा था क्योंकि आशु के पिता जहां दिव्यांग हैं वहीं उनकी भाई की मानसिक हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है। हालांकि आशु सिंह ने यह ठान लिया था कि वह अपने गांव में तब तक कदम नहीं रखेंगे जब तक वह कुछ बन नहीं जाते और हाल ही में उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि अब वही गांव वाले जो उनका मजाक बनाते थे वह उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। आइए आपको बताते हैं आशु सिंह आज कैसे उन लोगों के लिए मिसाल बन चुके हैं जो असफलता मिलते ही अपने सपनों को देखना छोड़ देते हैं।
आशु सिंह अपनी सफलता से हो गए हैं गदगद, गांव में बढ़ा दिया माता-पिता का सम्मान
आशु सिंह ने जब 12वीं की परीक्षा में सफलता प्राप्त नहीं की थी तब गांव वालों ने उनके माता-पिता को यह सलाह दी थी कि उन्हें अपने बेटे को पढ़ाई न करवाकर कुछ काम करने देना चाहिए लेकिन आशु सिंह ने अपनी पढ़ाई कभी बंद नहीं की और लगातार वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बनने के बाद भी आशु सिंह को अपनी प्रतिभा पर पूरा भरोसा था और आखिरकार उन्होंने वह सपना सार्थक कर दिखाया जिसके लिए वह बने हुए थे। आशु सिंह ने हिंदी के लेक्चरर की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और आज वह हिंदी के विषय के प्रोफेसर बन चुके हैं। आशु का मानना है कि गांव वालों के द्वारा उड़ाए गए मजाक की वजह से ही उन्हें अपने अंदर की शक्ति को पहचानने की ऊर्जा मिली जिसकी वजह से ही आज वह इस मुकाम पर है कि लोग उनकी सफलता की कहानी दूसरों को सुना रहे हैं और उनसे प्रेरणा लेने को कह रहे है।