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इस जादुई पेड की सुरक्षा के लिए भारत सरकार करती हैं सालाना 15 लाख रुपए खर्च, देखे पेड़ की ख़ासियत

भारत एक तरक्की करता हुआ देश हैं जिसके चलते हर विभाग में भारत अपने आप को मजबूत करने की कोशिश करता हैं. आज हम आपको भारत सरकार के ऐसे कारनामे के बारे में बातएगे जिसके बारे मे आप जानकार बहुत ज्यादा हैरान हो जाओगे. भारत के मध्यप्रदेश राज्य के रायसेन जिले में एक जादुई पेड है जिसकी रक्षा और सुरक्षा के लिए मध्यप्रदेश की सरकार सालाना लाखो रुपए खर्च करती हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह कोई मामूली पेड नही है बल्कि एक जादुई पेड हैं जिसके सुरक्षा के लिए 24×7 दो पुलिस वाले तो पहरेदारी करते ही करते हैं. इस पेड का विशेष ध्यान रखा जाता है. अब आपके मन मे सवाल आ रहा होगा कि आखिर ऐसा क्या है इस पेड़ में जिसके चलते मध्यप्रदेश की सरकार इस पर लाखों रुपए निवेश करती है और अगर पेड का एक पत्ता भी टूट कर गिर जाए तो तुरंत मेडिकल टीम आ जाती है. आइए आपको आज हम हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से इस पेड का पूरा सच बातएगे की आखिर क्यों इस पेड के लिए सरकार इतने पैसे खर्च करती हैं.

श्रीलंका ने लाया गया था इस पेड को , वजह हैं कि

जिस जादुई पेड के बारे में हम बात कर रहे हैं वह भारत का नही है बल्कि उसे श्रीलंका से भारत लाया गया हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जब साल 2012 में श्रीलंका के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आए तो वह अपने साथ इस पेड को भी लेकर आये थे ओर मध्यप्रदेश की सरकार के मुख्यमंत्री के साथ मिलकर इस पेड को लगाया था. इस पेड को भारत और श्रीलंका की दोस्ती का भी प्रतीक माना जाता है. यह कोई मामूली पेड नही है बल्कि यह पेड उस पेड का हिस्सा जिसके नीचे बैठकर भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी ओर यह वही पेड़ भी जिसके नीचे राजा अशोका ने शांति की प्राप्ति की थी. इसी के चलते इस पेड़ को बहुत ही ज्यादा जादुई माना जाता है क्योंकि पेड का एक हिस्सा भी किसी चमत्कारी वस्तु से कम नही है. जब श्रीलंका के राष्ट्रपति भारत आए थे तो वह श्रीलंका से इस पैसे के छोटे से हिस्से को अपने साथ भारत लेकर आए थे ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान गौतम बुद्ध ओर राजा अशोका दोनो ही भारतीय थे. इसी के चलते वह अपने साथ इस पेड को लेकर आए थे.

सालाना कुल इतने पैसे खर्च करती है सरकार इस पेड़ के लिए

इस पेड को गौतम बुद्ध के पेड के नाम से जाना-जाता है. इस जादुई पेड की ज़िम्मेदारी मध्यप्रदेश सरकार के हाथों में है. इस पेड की सुरक्षा के लिए 2 गार्ड हमेशा तैयार रखते हैं ताकि बंदर या कोई जंगली जानवर आकर इस पेड का नुकसान नही कर दे. बोला जाता है कि अगर इस पेड का एक पत्ता भी टूट कर नीचे गिर जाता है तो तुरंत पेड का चेकउप करने वाली मेडिकल टीम आ जाती है पूरी तरह जाँच करती हैं कि आखिर क्यों इसका पत्ता टूटा. रोजाना अलग से एक गाड़ी इस पेड को पानी देने आती हैं. अगर इस पूरे खर्चे को मिलाया जाए तो भारत सरकार सालाना 16 लाख रुपये से ज्यादा पैसे इस पेड के लिए खर्च करती हैं.

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