यूपीएससी एक ऐसा शब्द है जो हर नौजवान अपने जीवन में चाहता है। यूपीएससी की परीक्षा भारत देश में सर्वोच्च परीक्षा है और इसे पास करने वाले आईएएस आईपीएस आईएफएस अधिकारी बनते हैं। आज आपको उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक ऐसे गांव के बारे में बताते हैं जहां हर घर से कोई ना कोई आईपीएस या आईएएस ऑफिसर है। हम बात कर रहे हैं जौनपुर जिले के माधवपट्टी गांव की जहां लगभग 75 घर हैं और सभी से कोई ना कोई अफसर बना हुआ है। आइए जानते हैं क्या है इनकी सफलता का राज और यहां के नौजवान क्यों इतनी मेहनत कर पाते हैं।
पूरे देश में नाम है माधवपट्टी गांव का
उत्तर प्रदेश के माधवपट्टी गांव में लगभग 75 घर हैं और 50 से अधिक आईएएस या आईपीएस ऑफिसर हैं यह सिलसिला नया नहीं है बल्कि देश के आजाद होने के 2 साल बाद से चला रहा है आपको बता दें कि पहली बार इस गांव से आईपीएस बने थे मुश्ताक हुसैन जिन्होंने 1952 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएस का पद संभाला था पूरे देश में यह एकमात्र ऐसा गांव है जहां चार भाई आईएएस बने हैं। अपने माता-पिता और बुजुर्गों से प्रेरणा लेते हुए आज भी यहां के नौजवान यूपीएससी की परीक्षा पास कर रहे हैं और अफसर बने हैं।
इस गांव में 1955 में विनय कुमार आईएएस बने थे इसके बाद उनके दो भाई क्षेत्रफल और अजय कुमार सिंह 1964 में आईएएस अफसर बने तथा एक और भाई शशिकांत सिंह 1968 में आईएएस अफसर बना इस तरह से चार भाइयों ने आईएएस बनकर देश की सेवा करके एक मिसाल पेश की है। इस गांव में काफी ऐसे लोग हैं जिनके रिश्तेदार भी आईएएस ऑफिसर हैं
लोगों की इतनी तरक्की के बाद भी गांव की स्थिति में नहीं हुआ सुधार
माधव पट्टी गांव के लोगों ने काफी सफलता हासिल की लेकिन इसके बावजूद भी इनके गांव में अभी तक बेहतरीन सुख सुविधाएं नहीं है यहां तक कि गांव की सड़कें भी आज तक टूटी हुई हैं लेकिन उन्हें सुधारा नहीं जा रहा मेडिकल सुविधाओं की बात करें तो गांव में कोई भी अच्छा अस्पताल नहीं है पूरे भारत देश में सबसे अधिक आईएएस अफसर देने वाला यह गांव आज भी खुद की स्थिति नहीं सुधार पाया है यूपीएससी की परीक्षा तो भले ही इस गांव के लोगों ने पास कर ली लेकिन इस गांव में कोई भी यूपीएससी की एग्जाम के लिए कोचिंग सेंटर नहीं है गांव की हालत इतनी खराब है कि यहां बिजली भी नहीं आती है।