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कच्चे मकानों का गाँव 

आज की तेज़ी से विकास करती इस दुनिया में हर जगह बड़ी बड़ी और ऊँची इमारतें ही देखने को मिल रही हैं। क्या आप जानते हैं एक ऐसे गांव के बारे में जहां पर नहीं पक्का मकान उपलब्ध नहीं है। मध्य प्रदेश के श्योपुर चेहरे में एक ऐसा गांव है जहां पर आपको यह नजारा देखने को मिलता है। श्योपुर के इस गांव में  आज भी आपको कच्चे मकान देखने को मिलेंगे।

इस गांव में एक भी मकान ऐसा नहीं है जो कि एक पत्थर हो या सीमेंट के इस्तेमाल से बनाया गया हो। इस गांव में पक्के मकान बनाने पर पाबंदी है। यहां के लोगों की आर्थिक व्यवस्था अच्छी होने के कारण भी वह कच्चे मकानों में ही रहते हैं। यानि जिन लोगो के पास धन सम्पदा उपलब्ध हैं फिर भी वह कच्चे मिट्टी के बने मकानों में ही रहते हैं। ऐसा नहीं है कि इस गांव में पक्के मकान बनाने पर कोई सरकारी रोक लगाई गई है। बल्कि सदियों से चले आ रहे रिवाज़ यानि एक बाबा की आज्ञा का पालन किया जाता हैं। 

श्योपुर से 20 किलोमीटर दूर बसे इस गांव का नाम निमोदापीर  है। जो कि अजमेर वाले ख्वाजा की छोटी दरगाह की वजह से दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। इस गांव में लगभग 200 घर बने हुए हैं। इस गांव में अब तक कोई भी मकान पक्की ईंटो या पत्थरों से नहीं बनाया गया है। इसी वजह से इस गांव को कच्चे मकानों  का गांव कहां जाता हैं। 

 इस गांव में रहने वाले ऐसे लोग जो आर्थिक सम्पदा से संपन्न हैं वह इस गांव में अपना पक्का मकान बनाना तो चाहते हैं लेकिन जब भी वह इसे बनाने की कोशिश करते हैं उन्हें हमेशा आर्थिक और शारीरिक मुसीबतों का सामना करना पड़ जाता है। 

 गांव के पूर्व सरपंच रामप्रसाद मीणा का कहना हैं कि जब सदियों पहले सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अपने भक्ति काल के दौरान इस गांव में आए थे तब यह गांव अकाल से जूझ रहा था। तब बाबा गरीब नवाज के यहां के गाँव वालों को आज्ञा दी थी कि अपने खुशहाली के लिए वह इस गांव के घरों को कच्चा ही रखें। तभी से लोग इस गांव के घरों को पक्का नहीं बनाते हैं। और तब से ही इस गांव में अकाल बीमारियां जैसी मुसीबतें हमेशा के लिए दूर रहती हैं। 

इस गांव में दो मंदिर है और एक दरगाह हैं जो पक्की ईंटों की बनी हुई है। इसके अलावा एक सरकारी स्कूल है जो पक्की ईंटों का बनाया गया है। इसके अलावा गांव के सभी घर मिट्टी के बने हुए हैं। ऐसा नहीं है कि यहां पर अभी किसी ने पक्का मकान बनाने की कोशिश नहीं की लेकिन ऐसी कोशिश करने पर गांव वालों को अकाल, तूफान और सूखे का सामना करना पड़ा गाँव मैं कुछ मकान खंडर बने हुए हैं। इस बात को साफ साफ दिखाते हैं कि पक्के मकान बनाने से यहाँ के लोगो को किस मुसीबत का सामना करना पड़ सकता हैं। 

 

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