भारतीय समाज में बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार और शिक्षा दी जाती है। जिससे कि यह बड़े होकर समाज और देश के लिए कुछ गौरवशाली कार्य कर सकें और अपना नाम और देश का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखे सकें। बच्चों को शुरुआत से ही माता-पिता दया भावना और परोपकार की शिक्षा प्रदान करते हैं। इससे बच्चों में अपनापन और जीवो के प्रति दया भावना विकसित होती है। और बच्चे आपसी सहयोग को करने में अच्छी भूमिका निभाते हैं।
स्टूडेंट बना टीचर का मददगार
कोरो ‘नावायरस की लहर पूरी दुनिया के लिए एक आफत बनकर आई है। इसमें कई लोगों ने अपने प्रिय जनों को खोया है और हमेशा के लिए अपनों से दूर हो गये। कई लोगों ने अपने रोजगार के साधनों को छोड़ दिया और एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करने को मजबूर हो गए। क्योंकि रोजगार छिन गए और महा ‘मारी के कारण आर्थिक स्थिति और ज्यादा कमजोर हो गई। जिससे आम इंसान एक बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर हो गए।
फंड जुटाकर की मदद
यह कहानी है कैलिफोर्निया के एक अध्यापक जोश की, जो महामारी के कारण बेरोजगार हो गए। और अधिक उम्र होने के कारण मेहनत का कार्य भी नहीं कर पाते थे। आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो गई कि वे अपना जीवन एक कार में ही बिताने लगे उनकी सुबह और शाम उसी कार में ही होती थी। उनकी एक स्टूडेंट स्टीवन ने उन्हें देखा और उन्होंने अपने टीचर की मदद करनी चाही। इसके लिए स्टीवन ने चारों तरफ से फंड जुटाया जिससे मिली हुए राशि से उन्होंने टीचर की मदद की। हर कोई स्टीवन के इस प्रयास की सराहना कर रहा था क्योंकि उन्होंने अपने गुरु की मदद की थी।
जन्मदिन पर दिया सरप्राइज
$5000 करने की कोशिश की थी लेकिन लक्ष्य से 6 गुना ज्यादा पैसे इकट्ठे हो गए। उनके टीचर का 73 वा जन्मदिन था तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कोई उनकी इतनी बड़ी मदद करेगा। स्टीवन और उसके दोस्तों ने टीचर को सरप्राइज देने की बात सोची। और उन्होंने टीचर के जन्मदिन का दिन सरप्राइस के लिए चुना। जिस दिन टीचर का जन्मदिन था तो स्टीवन ने उनके हाथ में $27000 का चेक थमाया। चेक पाकर टीचर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका स्टूडेंट उनके लिए इतना बड़ा काम करेगा ।