भारत में समय-समय पर काफी ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं जिन्हें सुनकर लोगों को आश्चर्य भी होता है और उससे बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है। जब व्यक्ति हिम्मत और जज्बा दिखाता है तो उसके आगे हर एक चीज छोटी पड़ जाती है फिर वह चाहे कठिन रास्ता हो या फिर बढ़ती हुई उम्र। ऐसी एक कहानी महाराष्ट्र की रहने वाली एक महिला लता खरे की है जिसने अपने पति की जान बचाने के लिए साड़ी पहनकर ही मैराथन दौड़ शुरू कर दी और इसके बाद में महाराष्ट्र की मैराथन लेडी के नाम से प्रसिद्ध हो गई। सबसे खास बात यह रही कि वो यह मैराथन जीत भी गई।
पति की तबीयत खराब होने पर लिया बड़ा फैसला
दरअसल यह बात 2014 की है जब महाराष्ट्र की है एक महिला के पति की तबीयत खराब हो गई थी। इस महिला का नाम लता खरे हैं। जब इसके पत्ते की तबीयत खराब हुई तो यह बेहद दुखी हो गई थी। लता गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं और जब पति की तबीयत खराब हुई तो उनके पास पति के इलाज के लिए पैसे नहीं थे और ऐसी परिस्थितियों में लता बेहद परेशान हो गई। इस में कैसे भी करके पति का इलाज करवाना चाहती थी। डॉक्टर ने बताया कि पति की एमआरआई स्कैन करवानी पड़ेगी और इसके लिए ₹5000 का खर्चा आएगा लेकिन लता के पास इतने पैसे नहीं थे और वह पति का पेस्ट नहीं करवा पा रही थी फिर उन्हें किसी ने मैराथन की खबर दी जिसके बाद वह रातों-रात स्टार बन गई।
पति को बचाने दौड़ गई साड़ी में ही मैराथन
लता को जब गांव के ही किसी व्यक्ति ने बताया कि उनके गांव के पास ही एक मैराथन दौड़ हो रही है जिसमें विजेता को ₹5000 का इनाम मिलेगा। लता ने जैसे ही यह खबर सुनी तो तुरंत मैराथन दौड़ में हिस्सा लेने के लिए तैयार हो गई यहां तक कि लता को मैराथन के बारे में कुछ भी नहीं पता था तो वह साड़ी पहनकर ही मैराथन दौड़ने के लिए चली गई। मिथुन दौड़ में हिस्सा लेने वाले लोगों ने जब यह देखा तो वे काफी हैरान रह गए उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह औरत साड़ी पहनकर कैसे दौड़ सकती है लेकिन लता ने वह कर दिखाया जिसके बारे में लोगों ने सोचा भी नहीं था।
साड़ी में ही मैराथन दौड़ करें हासिल किया प्रथम स्थान
लता साड़ी और चप्पल पहनकर ही मैराथन में हिस्सा लेने के लिए चली गई। जब उसने दौड़ शुरू की तो बीच रास्ते में ही चप्पल टूट गई लेकिन इसके बाद भी रुकने का नाम नहीं लिया क्योंकि उसे अपने पति के इलाज के लिए पैसों की सख्त जरूरत थी साड़ी पहने हुए और नंगे पांव के लता ने मैराथन 3 किलोमीटर की दौड़ में प्रथम स्थान हासिल किया। इस घटना के बाद मराठी में लता खरे के जीवन पर आधारित फिल्म भी बनाई गई जिसका नाम लता भगवान करे है।