लंका अधिपति रावण का नाम तो सभी ने सुना ही होगा । आज आपको रावण की लंका और रावण के पुष्पक विमान से जुड़े रहस्य बताते हैं जिनके बारे में आपने कभी सुना नहीं होगा। पुष्पक विमान का नाम तो आपने सुना ही होगा पुष्पक विमान वही विमान है जिससे रावण ने सीता माता का अपहरण किया था और उसे लंका ले गए थे जहां अशोक वाटिका में बंदी बनाकर रखा था।
पुष्पक विमान का कौन था मालिक
पुष्पक विमान का नाम सुनकर आपको लगता होगा कि यह विमान रावण का था लेकिन असल में पुष्पक विमान का मालिक रावण नहीं बल्कि कुबेर देवता थे। जी हां वही कुबेर देवता जिसे धन का देवता भी कहा जाता है।
दरअसल रावण और कुबेर सौतेले भाई थे। कुबेर महाराज ने हीं लंका पर राज किया तथा लंका का राज्य विस्तार किया।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार लंका का निर्माण भगवान शिव ने किया था तथा भगवान शिव ने पार्वती को प्रसन्न करने के लिए संपूर्ण लंका को स्वर्ण जड़ित करवा दिया था।
कुबेर सभी देवताओं के कोषाध्यक्ष माने जाते हैं एवं संपूर्ण पृथ्वी पर उपस्थित धनसंपदा का मालिक भी कुबेर देवता को ही माना जाता है।
रावण ने 1000 वर्षों तक की तपस्या
कुबेर देवता के ज्ञान और समृद्धि को देखकर रावण ने भी इतना ही समृद्ध और ज्ञानी बनने का निश्चय किया इसके बाद रावण ने अपने भाइयों के साथ 1000 वर्षों तक तपस्या की और अपने मस्तकों को काटकर अग्नि में आहुति दे दी इससे भगवान ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और रावण को वरदान मांगने के लिए कहा तब रावण ने हर युद्ध में शत्रु पर विजय हासिल करने का वरदान मांगा इसके अलावा गंधर्व देवता असुर राक्षस एक्स सर्प किन्न’र और भूतों से कभी भी पराजय न हो यह वरदान भी मांगा । रावण के वरदान मांगने पर ब्रह्मा जी ने कहा कि तुम्हारी किसी से भी हार नहीं होगी लेकिन किसी मनुष्य से हार हो सकती है। इस पर रावण ने सोचा कि मैं इतना बलशाली हूं तो कोई साधारण मनुष्य मेरा क्या बिगाड़ सकता है।
भगवान श्री राम ने की थी पुष्पक विमान की यात्रा
रामायण के अनुसार रावण सीता का हरण कर पुष्पक विमान से ही लंका लेकर गया था। इसके पश्चात भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय करने के बाद श्री राम,सीता, लक्ष्मण और अन्य लोग पुष्पक विमान से ही अयोध्या लौटे थे।
पुष्पक विमान रावण ने अपने भाई धन के देवता कुबेर से बलपूर्वक छीना था । ऐसा माना जाता है कि पुष्पक विमान का निर्माण और कार्यक्षमता को देवताओं ने निर्मित किया था ।