भारत में वर्तमान में नीरज चोपड़ा किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर लाने वाले नीरज चोपड़ा आज एक जाना माना चेहरा बन चुके हैं आज नीरज चोपड़ा को भारत समेत पूरी दुनिया जानती है किसी ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना किसी सपने से कम नहीं होता है और यह कर दिखाया हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले नीरज चोपड़ा ने, जिन्होंने ज्वेलीन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता। आज नीरज चोपड़ा ने एक और सपना साकार कर दिया है और अपने माता-पिता से किया हुआ वादा पूरा कर दिखाया है। नीरज चोपड़ा ने खुद पोस्ट करें इस बात की जानकारी दी और कहा कि उनकी जिंदगी का एक सपना पूरा हो गया है।
हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले चोपड़ा के पिता का नाम सतीश कुमार है तथा माता का नाम सरोज देवी है। नीरज के पिता एक किसान है जबकि माता ग्रहणी है। नीरज चोपड़ा एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन उन्होंने अपने खेल और मेहनत के दम पर आज पूरी दुनिया में खुद का और परिवार का नाम रोशन किया है। हाल ही में नीरज चोपड़ा ने ट्विटर के माध्यम से पोस्ट करें बताया कि उन्होंने पहली बार अपने माता-पिता को फ्लाइट में बैठाया है जिसके बाद वह बहुत खुश नजर आ रहे हैं।
नीरज चोपड़ा ने ट्विटर पर एक फोटो शेयर करते हुए लिखा कि “आज जिंदगी का एक सपना पूरा हुआ जब मैंने मां पापा को पहली बार फ्लाइट में बैठा पाया सभी की दुआ और आशीर्वाद के लिए मैं हमेशा आभारी रहूंगा।”नीरज चोपड़ा की इस पोस्ट के साथ उन्होंने अपने माता-पिता के साथ फ्लाइट में बैठे हुए फोटो भी शेयर की हैं जिसमें सभी काफी खुश नजर आ रहे हैं। यह पोस्ट करने के बाद नीरज चोपड़ा को चाहने वालों के काफ़ी कमेंट देखने को मिले जिसमें उन्होंने उनकी काफी तारीफ की है और एक अच्छा खिलाड़ी होने के साथ-साथ एक अच्छा बेटा होने की भी बात कही है।
टोक्यो ओलंपिक 2020 से वापस आने के बाद नीरज चोपड़ा छुट्टी पर चल रहे हैं इसके पीछे यह भी होता है कि काफी लंबे समय तक उन्होंने छुट्टी नहीं ली थी और वह भारत आने के बाद बीमार भी हो गए थे। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा ने बताया कि 2016 में सेना के अफसरों की एक टीम नीरज चोपड़ा के घर पर पहुंची थी। तब सेना के अफसरों ने नीरज चोपड़ा को स्पोर्ट्स कोटा से सेना ज्वाइन करने के लिए कहा था। इसके बाद काफी समझाने के बाद मेरे चोपड़ा के माता-पिता ने राजपूताना राइफल्स से सेना में भर्ती होने के लिए रजामंदी दे दी थी।