रेगिस्तान का जहाज चलाने वाला जानवर ऊंट एक बेहद मेहनती पशु होता है। आपने सामान्य तौर पर देखा होगा कि ऊंट एक शाकाहारी जानवर होता है। क्या आपको पता है कि ऊंट जहरीले सांपों को भी खा लेता है। सामान्य तौर पर चारा खाने वाला यह जानवर सांपों को क्यों खाता है इसके पीछे का कारण क्या है आज आपको इस लेख के माध्यम से ऊंटों के द्वारा सांप खाने की पूरी कहानी बताते हैं।
ऊंटों के जहरीले सांप खाने का यह है कारण
सामान्य तौर पर देखा जाए तो उठ एक शाकाहारी पशुओं में गिना जाता है लेकिन कभी-कभी कुछ उंटो में एक अजीब सी बीमारी हो जाती है जिसके चलते इनके पैरों में और मुंह में बहुत अधिक दर्द होता है ऐसे समय में ऊंट सामान्य खाना भी नहीं खा पाते हैं और ना ही किसी प्रकार का चारा ले सकते हैं। ऐसी हालत में कभी-कभी ऊंट की मौत भी हो जाती है।
बीमारी से बचाने के लिए उंटो को खिलाते हैं सांप
ऊंटों में होने वाली बीमारी के कारण ऊंटों की मृत्यु हो जाती है इसी से बचाने के लिए कभी-कभी उन्हें सांप खिलाया जाता है। ऊंट जब सांप को खाता है तो उसके जहर को बर्दाश्त करना बिल्कुल भी आसान नहीं होता है लेकिन इसके बावजूद भी साफ खिलाया जाता है क्योंकि ऊंट घास को भी बचा सकता है और कैक्टस जैसे कांटो वाले पौधे को भी खा सकता है।
ऊंट होते हैं दो प्रकार के, कूबड़ से होती है पहचान
सामान्य तौर पर देखा जाए तो ऊंट दो प्रकार के होते हैं जिनकी पहचान उनके कूबड़ से की जाती है। आपको बता दें कि ऊंट एक ऐसा पशु होता है जो काफी समय तक बिना पानी पिए रह सकता है क्योंकि यह अपने कूबड़ में पानी को इकट्ठा कर लेता है और उसके बाद 6 महीने तक भी लगातार बिना पानी पिए रह सकता है इसलिए इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहते हैं।
ड्रोमेडरी
यह एक अरबी नस्ल का ऊंट होता है जिसकी पीठ पर एक ही को बर्ड होता है दुनिया में लगभग 90% ऊंट इसी नस्ल के पाए जाते हैं। भारत में भी अपने सामान्य तौर पर देखा होगा कि ऊंट पर एक ही कूबड़ रहता है। भारत में मुख्य दया ऊंट को राजस्थान में उपयोग में लिया जाता है जहां सवारी बैठाने के लिए और खेती करने में भी इसका उपयोग होता है।
बक्ट्रियन
इस प्रकार के ऊंट को मंगोलियन ऊंट भी कहा जाता है। ऐसे ऊंट मुख्यतः पहाड़ी इलाकों में देखने को मिलते हैं जहां कम बारिश होती है। इनकी पीठ पर दो कूबड़ बने रहते हैं। इस ऊंट की ऊंचाई भी अधिक होती हैं। भारत में ऐसे ऊंट मुख्यतः लद्दाख में पाए जाते हैं जहां भारतीय फौजी सीमा पर चौकसी के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं।