आपने दशरथ मांझी के बारे में तो पढ़ाई होगा उनके ऊपर एक फिल्म भी बनाई जा चुकी है। दशरथ मांझी की पत्नी की मौत के बाद उन्होंने ठान लिया था कि वह गांव में बने पहाड़ को काटकर हॉस्पिटल तक सड़क बनाएंगे और उन्होंने ऐसा कर दिखाया। आज एक ऐसे ही शख्स की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने दशरथ मांझी की तरह 30 साल का संघर्ष कर पहाड़ काटकर सड़क बनाई है। कहानी है उड़ीसा के नयागढ़ जिले की यहां पर गांव के कुछ लोगों ने सरकार से अपील की कि उन्हें वार्ड से घूम कर जाना पड़ता है और यह उनके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
प्रशासन ने किया इनकार
गांव के लोगों की इस अपील पर प्रशासन ने मना कर दिया। माना जाता है कि उस समय के मंत्री ने उन्हें कहा कि यह संभव है ऐसा करना संभव ही नहीं है। लेकिन गांव में रहने वाले नौजवान हरिहर बहरा को यह कहां मंजूर था उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर 30 साल तक पहाड़ कांटा और पहाड़ काटकर सड़क बना डाली। दुख की बात तो यह है कि पहाड़ काटने के समय उन्होंने अपने भाई को भी खो दिया था।
जवानी में शुरू किया काम
एक तरफ सरकार से निराशा हाथ लगने के बाद हरिहर वह उनके भाई ने बाहर काटने का काम शुरू किया। वह अक्सर अपने खेतों में काम करने के बाद पहाड़ काटने का काम किया करते। आपको बता दें कि दोनों भाइयों ने हाथों से पहाड़ काटने का काम शुरू किया। इस बीच होने कई विस्फोटकों का इस्तेमाल भी करना पड़ा लेकिन उस समय विस्फोटक का इस्तेमाल करना कानून के खिलाफ था तो उन्हें बीच में ही इसका इस्तेमाल करना बंद करना पड़ा था। हरिहर ने जब यह काम शुरू किया तो वह महज 25 साल के थे।
गांव वाले आज भी आभार जताते हैं
आपको बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार कहा गया है कि हरिहर ने पहाड़ काटने के लिए बैल गाड़ियों का इस्तेमाल भी किया क्योंकि बड़े-बड़े पत्थर को ढोना एक आम इंसान की बात नहीं थी। हरिहर के इस काम को लेकर गांव वाले उनका आज भी आभार व्यक्त करते हैं। इसी काम के दौरान उन्होंने अपने भाई को भी खो दिया था। गांव वालों का कहना है कि हरिहर और उनके भाई की बदौलत हमें आज सड़क मिली है। हरिहर से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके पास कोई विकल्प ही नहीं छोड़ा था जिसके बाद उन्हें यह रास्ता अपनाना पड़ा। अगर आपको हरीहर की यह कहानी अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।