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इन लोगों का कहना है की आज भी हैं हनुमान जी का अस्तित्व, करते हैं कैलाश पर्वत पर तपस्या

रामायण के लिए बोला जाता है कि इसमें अगर हनुमान जी नही होते तो शायद भगवान श्री राम सीता माता का पता ही नही लगा पाते. हनुमान जी को बहुत सारे नामो से जाना जाता हैं. जैसे बजरंबली , मारुति , आदि. हनुमान जी के पिता का नाम केसरी हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हनुमान जी भगवान शिव के अंश है और उसके साथ-साथ हनुमान जी को पवन पुत्र भी बोला जाता है. जब पृथ्वी पर हनुमान जी का जन्म हुआ था तो पूरे ब्राह्मण में उत्सव बनाया गया था क्योंकि हनुमान जी एक भगवान का रुप है और इनके जन्म से संसार का कल्याण होना लिखा हुआ था.

बचपन से ही थे शरारती हनुमान जी , चले गए थे सूरज को खाने

हनुमान जी बचपन मे बहुत ज्यादा शरारती थे , जिसके चलते उनकी माता बहुत ज्यादा परेशान रहती थी. रामायण में बताया गया है कि हनुमान जी को एक बार बहुत जोर से भूख लगी थी जिसके चलते उन्हें जब आसमान में देखा तो सूरज को एक फल समझ लिया और उसको हासिल करने की ठान ली. हनुमान जी पवन पुत्र थे जिसके चलते उन्हें हवा में उड़ना आता था. हनुमान जी हवा में उड़कर सूरज को फल समझ कट खाने पॉच गए और सूरज को अपने मुँह में भी ले लिया और पूरी पृथ्वी पर बिल्कुल अंधेरा कर दिया. हनुमान जी सूरज को अंदर ही लेने वाले थे कि वहाँ उन्हें ब्रम्हा जी ने आकर रोक लिया नही तो आज पृथ्वी बिना सूर्य की किरणों के ही होती.

भगवान श्री राम से भी ज्यादा शक्तियां थी हनुमान जी के पास लेकिन बचपन मे ही मिल गया था एक श्राप

हनुमान जी को अपने बचपन मे ही बहुत सारे वरदान मिल गए थे जिसके चलते वह सबसे ज्यादा शक्तिशाली बन गए थे. लेकिन एक दिन हनुमान जी को अपनी शक्तियों का अहंकार हो गया था. एक दिन हनुमान जी एक ऋषि मुनि को परेशान करने लग गए थे ओर अपनी शक्तियों का गलत फायदा उठाने लग गए थे. जिसके चलते ऋषि मुनि ने परेशान होकर हनुमान जी को श्राप दे दिया कि तुम्हे कभी भी अपनी शक्तियां याद नही रहेगी. इसी के चलते हनुमान जी सबसे शक्तिशाली होने के बाद भी अपनी दिव्य शक्तियों का आभास नही कर पाए.

आज भी बजरंग बली जीवित , नही लिखा है कही भी हनुमान जी के अंत के बारे में

हनुमान जी बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली हैं इन्हें ऐसे-ऐसे वरदान प्राप्त थे कि पूरे ब्रह्मांड में कोई भी हनुमान जी को परास्त करने वाला नही था. रामायण में कही भी नही लिखा है कि हनुमान जी ने कैसे पृथ्वी को छोड़ा या खुद से समादी ली. लेकिन रामायण में यह जरूर लिखा हुआ है जी जहाँ-जहाँ बुराई होगी वहाँ-वहाँ उसके सर्वनाश के लिए हनुमान जी प्रकट होंगे. लेकिन कई लोग कहते हैं कि हनुमान जी कैलाश पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर तप्यस्या कर रहे हैं.

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