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देश की पहली नेत्रहीन IAS प्रांजल पाटिल की कहानी सुनकर छलक आएंगे आंखें

UPSE की परीक्षा देश में सबसे कठिन मानी जाती है और इससे पास करने वाला देश की विभिन्न सिविल सर्विसेज में अपनी सेवाएं देता है। जिंदगी इंसान को बहुत कुछ सिखाती है जिसमें सुख भी होता है और दुख भी होता है। ऐसा कहा जाता है कि जो इंसान दुनिया को जिस नजरिए से देखता है वह इंसान वैसा ही होता है लेकिन क्या हो जब किसी के पास देखने के लिए आंखों की रोशनी ही ना हो। जो लोग अपनी आंखों की रोशनी गंवा बैठते हैं उनके लिए पूरा जीवन एक अंधकार बन जाता है और वह खुद के मन में ही टूट जाते हैं और आत्मविश्वास बहुत कमजोर हो जाता है। लोगों की इन बातों को गलत साबित करते हुए एक शख्सियत ने आंखों की रोशनी ना होते हुए भी देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली यूपीएससी की परीक्षा पास की और अब आईएएस के पद पर कार्यरत हैं जी हां हम बात कर रहे हैं भारत के लिए एक मिसाल बनी एक लड़की प्रांजल पाटिल की। जिन्होंने आंखों की रोशनी ना होते हुए भी अपने मेहनत के दम पर आज यह मुकाम हासिल किया है।

प्रांजल पाटिल का जीवन दर्शन

देश के विकलांग लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत का कार्य करने वाली प्रांजल पाटिल महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली है। बचपन में उनकी आंखों की रोशनी एकदम सही थी लेकिन मात्र 6 साल की उम्र में उन्होंने अपनी आंखों की रोशनी गवा दी और इसके बाद पूरी दुनिया उनके लिए अंधकार बन गई। इसके बाद है जहां इंसान अपनी हिम्मत हार जाता है वही प्रांजल ने दुनिया को अपनी बंद आंखों से ही देखने का निर्णय लिया और हिम्मत नहीं हारी। उनका मानना था कि उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी है लेकिन वह अपने जीवन को जरूर रोशन करेंगे जिससे उन्हें कोई भी कमजोर नहीं समझेगा। अपने इसी जज्बे और मेहनत के कारण है प्रांजल की मेहनत एक दिन जरूर रंग लाई और उन्होंने ऐसा कार्य कर दिया जो पहले कोई भी नहीं कर पाया था।

आंखों की रोशनी जाने पर भी नहीं हारी हिम्मत

प्रांजल पाटिल कहती हैं कि जब बचपन में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी तो एक बार उन्हें बहुत बुरा लगा था लेकिन उन्होंने खुद को समझाया और संभाला। उन्होंने कहा कि बचपन में आंखों की रोशनी चली गई थी लेकिन पढ़ने में रुचि नहीं गई और मन में ठान रखी थी कि 1 दिन बड़ा नाम करना है। आपको बता दें कि प्रांजल ने 12वीं की परीक्षा में 85% अंक प्राप्त किए थे इसके बाद आगे की पढ़ाई मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से की थी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी के एग्जाम के लिए तैयारी करने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने अपनी पूरी दिलों जान लगा दी। आखिरकार उन्होंने अपना सपना साकार किया और देश की पहली नेत्रहीन आईएस बनी।

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