हाल ही में टोक्यो ओलंपिक का समापन हुआ है जिसमें भारत ने एकमात्र गोल्ड मेडल जीता है। यह गोल्ड मेडल लाने वाले नीरज चोपड़ा भाला फेंक में विश्व में नंबर वन रहे हैं। भारत में आने के बाद नीरज का शानदार तरीके से स्वागत किया गया और संपूर्ण देशवासियों ने उन्हें बधाइयां और शुभकामनाएं दी। आपको बता दें कि नीरज चोपड़ा से पहले वाला फेंक में एक और खिलाड़ी ऐसे हैं जो भारत को गोल्ड मेडल दिला चुके हैं। जी हां यह बिल्कुल सही है कि भारत के एक खिलाड़ी ने भाला फेंक मे भारत के लिए 1 नहीं बल्कि 2 बार गोल्ड मेडल जीता चुका है। हम बात कर रहे हैं भारत के पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया की जिन्होंने पैरालंपिक में दो बार गोल्ड मेडल जीता है।
रियो ओलंपिक मे बनाया था विश्व रिकॉर्ड
भारत के पैरालंपिक देवेंद्र झाझरिया ने रियो ओलंपिक 2016 में 63.97 मीटर भाला फेंक कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था और गोल्ड मेडल भी हासिल किया था। भारत के लिए यह फक्र की बात है कि एक विकलांग खिलाड़ी ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। रियो ओलंपिक से पहले भी साल 2004 में ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
बचपन में गंवा दिया था एक हाथ
भारत के नंबर वन पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया ने अपने बचपन में 8 साल की उम्र में अपना एक हाथ गंवा दिया था। दरअसल बचपन में उनका हाथ बिजली के तार के संपर्क में आया जिससे उन्हें अपने हाथ को ही गंवाना पड़ा। इसके बाद जब उन्होंने भाला फेंकने के लिए अभ्यास शुरू किया तो आसपास के लोगों ने उन्हें यह करने से मना किया और उनका मनोबल लगातार गिराते रहे। आसपास के लोग उन्हें कहते थे कि अब कुछ भी करने की कोई जरूरत नहीं है तुमसे कुछ भी नहीं हो पाएगा लेकिन देवेंद्र ने बिल्कुल भी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत को अधिक ताकतवर करते चले गए और अंत में उन्होंने विश्व के सबसे बड़े एथलीट मंच ओलंपिक में दो बार मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया।
पैरालंपिक 2020 की कर रहे हैं तैयारी
देवेंद्र झाझरिया फिलहाल पैरालंपिक 2020 की तैयारी कर रहे हैं और उन्होंने इस बार खुद को और अधिक तैयार किया है और उनका कहना है कि वह इस बार 69 मीटर भाला फेंक कर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ देंगे और एक बार फिर से गोल्ड मेडल हासिल करेंगे। आपको बता दें कि देवेंद्र को पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। पद्मश्री प्राप्त करने वाले वह पहले पैरा एथलीट हैं।