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लोगों के घर में करती थी झाड़ू पोछा, ऐसी किताब लिखी पूरी दुनिया को अपना फैन बना लिया

इंसान जब कुछ करने की ठान लेता है तो भगवान भी उसका साथ देता है। इंसान की हिम्मत के आगे सब कुछ छोटा पड़ जाता है। आज आपको ऐसी ही एक महिला की कहानी बताते हैं जिसे गरीबी के कारण लोगों के घर में झाड़ू पोछा करना पड़ा लेकिन जज्बा और हिम्मत है किसी इंसान को पीछे नहीं रख सकती। बचपन में ही इस महिला की शादी कर दी गई और कम उम्र में ही मां बन गई जिसे उसका पति काफी पीड़ा पहुंचाता था और रोज पिटाई करता था। फिर इस महिला ने अपने बलबूते पर आज दुनिया में अपना नाम बनाया है।

कम उम्र में कर दी शादी बन गई तीन बच्चों की मां

बेबी नाम की एक महिला कश्मीर में 1973 में पैदा हुई पैदा होने की मात्र 4 साल बाद ही उसकी मां ने उसका साथ छोड़ दिया और दुनिया छोड़कर ही चली गई। पिक्चर उसका एक शराबी पिता था जिसके पास में रहती थी। पिता उसे मुर्शिदाबाद ले गया और यहां से वे दोनों पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में जाकर रहने लगे बेबी के पिता ने दूसरी शादी कर ली और बेबी भी उनके साथ ही रहने लगी। बेबी की पढ़ाई छठवीं क्लास के बाद रोक दी गई। इसके बाद मात्र 12 साल की उम्र में उसकी शादी ऐसे शख्स के साथ कर दी जो उससे 14 साल बड़ा था। शादी के बाद बेबी की जिंदगी है नरक बन गई। उसने बताया कि शादी के 3-4 दिन बाद ही उसके पति ने उसके साथ हैं जबरदस्ती की है और उसका रेप किया इसके बाद बेबी जब 13 साल की थी तो 1 बच्चे की मां बन गई और इसके बाद लगातार तीन बच्चों को जन्म दिया 15 साल की उम्र में एक नादान बच्ची 3 बच्चों की मां बन गई थी। यह बेहद ही दुर्भाग्यवश है और समाज की डे बुनियादी बेड़ियों को दिखाता है जो महिलाओं को बांधे रखती हैं।

पति को लहूलुहान कर निकल गई घर से

बेबी का पति उसके साथ रोज मारपीट क्या करता था इसलिए वह है काफी दुखी हो चुकी थी 1 दिन बेबी ने अपने पति के सिर पर पत्थर मार कर उसे लहूलुहान कर दिया और इसके बाद जब सब कुछ आपे से बाहर हो गया था तो आखिरकार 1999 में बेबी ने घर से तीनों बच्चों के साथ भाग जाने का फैसला किया। इसके बाद वह स्टेशन पर आकर है ट्रेन में बैठ गई और अपने बच्चों के साथ है किस्मत ने उसे दिल्ली पहुंचा दिया जहां से वह गुड़गांव पहुंचे और यहां एक झोपड़ी को अपना आशियाना बनाया फिर आसपास के घरों में काम करके अपना गुजारा करने लगी।

मुंशी प्रेमचंद के पोते ने बदल दी बेबी की किस्मत

बेबी गुड़गांव में जब लोगों के घर में झाड़ू पहुंचा किया करती थी तो एक दिन वह है एक ऐसे घर में पहुंच गई जहां हिंदी साहित्य के महान कवि मुंशी प्रेमचंद का पोता प्रबोध कुमार रहा करता था। प्रबोध कुमार ने उसे अपने घर में काम दे दिया इसके बाद जीवन आगे बढ़ने लगा। प्रबोध कुमार ने काफी बार यह चीज देखी कि बेबी किताबों को निहारती रहती है इसके बाद एक दिन उसने बेबी के हाथ में कॉपी और पेन थमा दिया। इसके बाद कहा कि अपने बारे में लिखो अगर कोई गलती हो जाए तो भी कोई बात नहीं है और इसके बाद बेबी पेन से कॉपी में लिख दी चली गई उसे खुद के बारे में लिखने की इतनी आदत हो गई थी कि वह रोज घंटो घंटो अपने बारे में उसको कोपी में लिखते रहती थी।

प्रबोध कुमार ने कर दिया बेबी को पूरी दुनिया में प्रसिद्ध

एक दिन जब प्रबोध कुमार ने उसकी कॉपी को देखा तो उन्होंने पाया की बेबी ने अपनी पूरी जिंदगी के बारे में इस कॉपी में लिख दिया है। प्रबोध कुमार ने कॉपी को किताब का रूप दे दिया। फिर यह किताब भारत में काफी बिकने लगी और इसके काफी संस्करण भी लोगों ने पढ़ें। एक लेखिका उर्वशी ने इस किताब का अंग्रेजी में अनुवाद किया और इसे ए लाइफ लेस ऑर्डिनरी नाम दिया। इसके बाद यह किताब सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी काफी बिकने लगी और देखते ही देखते झाड़ू पोछा करने वाली एक महिला पूरी दुनिया में सितारा बनकर चमकने लगी।

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