भारत में बेरोज’गारी काफी हद तक फैली हुई है जहां काफी लोग दो वक्त की रोटी मुश्किल से खा पाते हैं। एक सामान्य इंसान बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पेट भरता है। भारत में अधिकांश लोग गांव में रहते हैं और खेतीबाड़ी तथा पशुपालन पर निर्भर रहते हैं। जो भी सरकार सत्ता में आती है वह किसान के भले के बारे में बातें करती है लेकिन इस पर अमल कोई भी नहीं करता। कभी-कभी बैंक कर्मियों की गलती से या फिर टेक्निकल एरर के चलते सामान्य व्यक्ति के खाते में करोड़ों रुपए आ जाते हैं इसके बाद वह उन्हें खर्च भी नहीं कर पाते और बैंक वाले वापस ले लेते हैं बस उनके मन में एक लालसा ही रह जाती है।
कुछ दिनों पहले बिहार में एक मामला आया था जिसमें एक शख्स के खाते में गलती से ₹500000 आ गए थे। इसके बाद में उसने यह पैसे खर्च भी कर दिए। जब बैंक कर्मियों को इस बात का पता चला तो उन्होंने उस शख्स से संपर्क किया। इसके बाद शख्स ने कहा कि उसने सोचा प्रधानमंत्री ने अपने 1500000 रुपए वाली बात के चलते पहली किस्त ₹500000 जमा करवाई है और इसे खुद के पैसे समझकर खर्च कर दिया। अब बैंक कर्मी अपने पैसे वापस मांग रहे हैं जो यह शख्स दे नहीं पा रहा। इसके बाद बैंक ने थाने में उसके खिलाफ में मुकद’मा दर्ज करवा दिया। फिर पैसे नहीं चुकाने के कारण उस व्यक्ति को जे’ल हो गई।
वृद्ध पेंशन चेक करने गए बुजुर्ग के खाते में मिले 52 करोड़ रूपए
यह मामला मुजफ्फरपुर जिले के कटरा थाना क्षेत्र का है। जहां एक वृद्ध किसान जिसका नाम राम बहादुर शाह है अपने वृद्ध पेंशन राशि चेक करवाने के लिए एक सीएसपी संचालक के पास गया। यहां जाते ही किसान ने अपना आधार कार्ड दिया और राशि चेक करवाने के लिए जैसे ही अपना अंगूठा लगाया तो सीएसपी चालक दंग रह गया क्योंकि किसान के खेतों में 52 करोड़ रुपए थे।
राम बहादुर से इस राशि के बारे में पूछने पर उसने बताया कि इसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है कि उसके खाते में इतने रुपए कहां से आए। किसान के खाते में करोड़ों रुपए आते ही यह बात चारों तरफ फैल गई। बुजुर्ग ने बताया कि सीएसपी चालक की बात सुनकर हम सभी आश्चर्यचकित रह गए कि आखिर इतनी राशि आई कहां से हम अपनी खेती करके जीवन यापन करते हैं और उसी से हमारा घर चलता है। बुजुर्ग ने मोदी सरकार से मांग करते हुए कहा कि “उस राशि में से थोड़ा बहुत हमे भी मुहैया करवा दीजिए जिससे हमारा बुढ़ापा अच्छे से कट सके।”