हरिद्वार में लगने वाला कुंभ मेला अपने आप में एक ऐसा अनोखा मेला है जिसमें देश भर से नागा साधु गंगा स्नान करने के लिए आते हैं और मान्यता है कि यहां पर जाकर आम व्यक्ति भी अगर नागा साधु से आशीर्वाद ले लेता है तो उसका जीवन खुशियों से भरपूर हो जाता है। नागा साधु आमतौर पर वही व्यक्ति बन पाता है जो सांसारिक मोहमाया को छोड़ कर भगवान की शरण में आ जाता है और दुनिया भर के तमाम नागा साधु इन दिनों हरिद्वार के कुंभ में पधार चुके हैं और उनसे आशीर्वाद लेने वालों के लिए भी भारी भीड़ इन दिनों हरिद्वार में जुट पड़ी है। इन सभी नागा साधु का बीच हाल ही में बावन भगवान के रूप में एक ऐसे नागा साधु पधार चुके हैं जिन से आशीर्वाद लेने के लिए लोगों की लंबी पंक्ति लगी हुई है और आइए आपको बताते हैं नारायण नंद के नाम से पहचाने जाने वाले इस नागा साधु की क्या खासियत है जिसकी वजह से लोग इनका आशीर्वाद लेने के लिए लंबी पंक्ति में शामिल हो रहे हैं.
स्वामीनारायण नंद की उम्र हो चुकी है 55 वर्ष, कद है सिर्फ 18 इंच
हरिद्वार के कुंभ मेले में अब धीरे-धीरे नागा साधुओं का जमघट लगने लगा है और इस कुंभ मेले में इन दिनों स्वामी नारायण नंद लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं क्योंकि नारायण नंद के कद काठी को देखकर उन्हें दुनिया का सबसे छोटा नागा साधु कहा जाता है और लोगो का यह मानना है कि वह बावन भगवान के अंश हैं जिनका आशीर्वाद लेने से लोगों की सारी समस्याएं समाप्त हो जाती है। हर कोई इसी वजह से उनका आशीर्वाद लेने के लिए लंबी पंक्ति में शामिल है और आइए आपको बताते हैं इनकी ऐसी क्या खासियत है जो इन्हें बाकी नागा साधुओं से बिल्कुल अलग बनाती है और लोग इनके चरण को स्पर्श कर रहे हैं.
18 इंच के नागा साधु को नित्य क्रिया कर्म के लिए भी पड़ती है दूसरों का सहारा, भजन गाते हैं पूरी तन्मयता के साथ
बावन भगवान के नाम से पहचाने जाने वाले स्वामी नंद नारायण लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं क्योंकि 55 वर्ष की उम्र में भी इनकी लंबाई सिर्फ 18 इंच की है और यह साधु अपने कदमों से चल नहीं पड़ता यहां तक कि अगर उन्हें नित्य क्रिया कर्म भी करने होते हैं तब उसके लिए उन्हें अपने शिष्य की जरूरत होती है। पिछले 40 वर्षों से वह हरिद्वार के कुंभ मेले में आ रहे हैं और इस कुंभ मेले में लोग के बीच में आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं और लोग दूर-दूर से उनके आशीर्वाद को लेकर अपनी मन्नत को पूरा कर रहे हैं। भले ही नारायण नंद चलने फिरने में असमर्थ हो लेकिन बात जब भगवान की भक्ति और भजन की आती है तब उसमें छोटे कद के यह नागा साधु सबसे आगे नजर आते हैं और यही खासियत उन्हें सब से अलग बनाती है क्योंकि एक बार जब वह अपने भजन में रम जाते हैं तब वह किसी की नहीं सुनते हैं और इसी वजह से लोग पूरी श्रद्धा के साथ उनका आशीर्वाद लेते हुए नजर आ रहे हैं।