भारत में दिन प्रतिदिन नए नए खिलाड़ी उभर कर आ रहे हैं जो विश्व में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। बचपन में स्वस्थ पैदा हुआ हर एक बच्चा भविष्य में कुछ करने की कामना रखता है लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसे बहुत लोग हैं जो अपने जीवन में किसी दुर्घटना की वजह से दिव्यांग हो जाते हैं जिसके बाद उन्हें अपनी जिंदगी बहुत लगने लगती है। आज हम ऐसे ही एक पर अथिलीट खिलाड़ी की बात कर रहे हैं जिसने अपने दोस्त को बचाते हुए अपना एक हाथ गवा दिया लेकिन उसके बावजूद जीवन में हार नहीं मानी और यह उन लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो किसी वजह से दिव्यांग हो जाते हैं और जिंदगी को खुद पर बाहर समझने लग जाते हैं।
पर एथलीट अजीत सिंह ने दोस्त की जान बचाते हुए गांव आया था अपना हाथ
आज हम उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के नागला बिधी गांव के रहने वाले एक युवक अजीत सिंह की बात कर रहे हैं। बचपन से स्वस्थ पैदा हुए अजीत सिंह ने वर्ष 2017 में एक हादसे में अपना हाथ गंवा दिया। दरअसल अजीत सिंह के जीवन में 2017 तक के सब कुछ सही था लेकिन एक ट्रेन हादसे में उन्होंने बहादुरी दिखाते हुए अपने एक दोस्त की जान बचाई लेकिन इसमें अपना एक हाथ गवा बैठे। इसके बाद खुद को आंतरिक तौर पर मजबूत करके अजीत सिंह ने खेल में कदम रखा जहां पहले एक सामान्य मनुष्य की तरह खेलने वाले अजीत सिंह अब एक पैरा एथलीट बन चुके थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हादसे के 4 महीने बाद वापस मैदान में वापसी की।
भारत के लिए जीत चुके हैं स्वर्ण पदक
अजीत सिंह ने अपना हाथ गंवाने के बाद मैदान में वापसी की और पूरा मन लगाकर मेहनत की उनकी यह मेहनत बेकार नहीं गई बल्कि उनके लिए ऐसा काम किया जिसकी वजह से उन्होंने खुद का और देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया। अजीत सिंह को 2019 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला और उन्होंने चीन के बीजिंग शहर में हो रहे पैरा एथलीट ग्रां पी में भारत के लिए गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद 2019 में ही दुबई में हो रहे विश्व में पैरा एथलीट चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और कांस्य पदक हासिल किया।
वक्त के साथ दिव्यांग लोगों के लिए बन गए प्रेरणा स्रोत
अजीत सिंह अभी 28 साल के हैं लेकिन इतनी कम उम्र में उन्होंने वह कीर्तिमान स्थापित कर दिया जो लोग सपने में भी नहीं सोच सकते हैं दिव्यांग लोगों के लिए आज अजीत एक प्रेरणा स्रोत बन कर सामने आए हैं हाल ही में संपन्न हुए जापान की राजधानी टोक्यो में टोक्यो ओलंपिक के लिए भी अजीत ने क्वालीफाई किया था।