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इसका बीज 50,000 रुपये किलो बिकता है

जब हम खाने की बात करते है तो उसका मतलब होता है खूब चटपटा खाना ,तली हुई चीज़े लेकिन ये सब चीज़े सही नहीं है सही खाना उसको कहते है की जहा हम रहते है वहा की उगी हुई चीज़े ही खान और उगाना .और आज हम जिनकी कहानी सुना रहे है उनका पीपल फार्म नाम से अपना खेत है जिन्होंने कुछ अलग करने की सोची और आर्गेनिक खेती की शुरवात की .ताकि न तो इन्सान को नुकसान हो और न ही जानवरों को नुकसान .

क्या उगाते है अपने फार्म में 

इन्होने अपने खेत में सबसे पहले लहसुन लगाना शुरू किया ,और ये करीब करीब 100 किलो लहसुन निकाल लेते है कुछ को तो ये बाजार में बेच देते है और बाकि का पाउडर बना कर बेचते है .ये जो तरीका अपनी खेती में इस्तेमाल करते है उसका नाम है ऋषि खेती और इंग्लिश में कहते है नो टेल फार्मिंग ,इसमें ये जमीन को ट्रेक्टर या फिर बेल से खोदते नहीं है .

ये खेती करने के लिए जमीन को खोदते नहीं है बल्कि ये गाय के गोबर को जमीन के ऊपर दाल देते है फिर उस पर गत्ता डालते है ,गत्ता डालने के बाद उसमे छेद कर देते है .अगर आपके पास गत्ता नहीं है तो आप भुस को यूज़ कर सकते है या फिर पराली का इस्तेमाल कर सकते है ,उस से फायदा क्या है की सूरज की रौशनी सीधा मिटटी पर नहीं पड़ती तो आपको पानी देने की जरूरत इतनी नहीं पड़ती .

ये भाई साहब जो बेकार पेड़ पोधे जमीन से निकालते है उनको भी उन गतो के ऊपर ही दाल देते है ,ये इसलिए जमीन को नहीं खोदते उसके पीछे एक कारण देते है .वो कहते है की हम जंगल के पेड़ काटते है फिर उसके ऊपर ट्रेक्टर चलाते है ताकि जमीन नरम हो जाये और उसके बाद जब पोधा लगाते है तो उसकी जड़े धरती में अंदर तक जाती है और पोषण लेती है .जिस से किसान को अच्छी कमाई होती है लेकिन जो फसल वो लेता है उसके कारण जमीन की सारी ताकत ख़तम हो जाती है लेकिन वो बोलते है जो हम करते है उस से धरती की ताकत ख़तम होने की जगह बड जाती है .

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