मां शब्द दुनिया में सबसे बड़ा है। एक माँ ही ऐसी होती हैं जो अपने बच्चों के लिए हर एक कसौटी से गुजर जाने को तैयार रहती है। एक मां 9 महीने अपने बच्चे को कोख में रखती है और फिर जन्म से उसकी बहुत अच्छी परवरिश करती हैं लेकिन कभी-कभी ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें इतना लाड प्यार देने के बाद भी बच्चे अपनी मां को अकेला छोड़ देते हैं और वह असहाय हो जाती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां दो बेटों ने अपने मां को अकेला छोड़ दिया है जबकि दोनों सरकारी नौकरी में है।
30 किलोमीटर पैदल चलकर संभागीय आयुक्त को सुनाई अपने आप बीती
मामला भरतपुर के हलेना क्षेत्र के हिसामडा गांव की रहने वाली हैं जिसके दो बेटे हैं और दोनों एयरफोर्स में हैं और दोनों की पत्नियां भी सरकारी नौकरी में हैं। इसके बावजूद महादेवी नाम की यह महिला खाने के लिए भी मजबूर हैं और दाने-दाने को मोहताज है। काफी समय तक परेशान होने के बाद में आखिर में महादेवी ने 30 किलोमीटर पैदल चलकर संभागीय आयुक्त को अपनी आपबीती सुनाई। जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पति की मृत्यु करीब डेढ़ साल पहले हुई थी जिसके बाद उसके दोनों बेटों ने उसका साथ छोड़ दिया और खाने को दो वक्त की रोटी भी नहीं देते हैं। महादेवी ने बताया कि उसके पास किराए के रुपए भी नहीं थे इसलिए उसे अपने गांव से 30 किलोमीटर पैदल चलकर आना पड़ा।
महादेवी की आपबीती सुन सब की भराई आंखें
संभागीय आयुक्त की जनसुनवाई में पहुंची महादेवी ने जब अपने साथ हो रही इस दुर्दशा के बारे में बताया तो सबकी आंखें भर आई। इसके साथ ही संभागीय आयुक्त पीसी बेरवाल ने महादेवी की इस दुर्दशा को सही करने का आश्वासन दिया और एसडीएम को तुरंत निर्देश देते हुए कहा कि महिला के दोनों बेटों को अपने मां के लालन पालन के लिए पाबंद किया जाए।
महादेवी के पति ने बेटों से लिखित में लिया था आश्वासन
महादेवी के पति धर्म सिंह की मृत्यु डेढ़ साल पहले हो गई थी उसके पति ने मृत्यु से पहले अपने बेटों से लिखित में आश्वासन लिया था कि वह अपनी मां का ख्याल रखेंगे और उन्हें कोई तकलीफ नहीं होने देंगे। माँ के भरण-पोषण के लिए दोनों बेटे हर महीने उन्हें ₹6000- 6000 देंगे लेकिन उनके देहांत के बाद दोनों बेटे ने अपनी मां का सहारा छोड़ दिया और अलग रहने लग गए। फिलहाल महादेवी की बहन सहारा दे रही है और उसी के घर पर दो वक़्त की रोटी मिल पाती हैं।