आपको सुनने में काफी अटपटा जरूर लगे, लेकिन यह कहानी बिल्कुल सत्य है। दोस्तों इंसानों को तो आप ने अदालत में जाते सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी किसी भगवान को अदालत मे गवाही देते सुना है, अगर नहीं तो इस लेख को अब तक जरूर पढे।
दरअसल यह कहानी आज की नहीं बल्कि 40 साल पुरानी है, जब एक संत वृंदावन में रहा करता था और वह रोजाना शिव मंदिर के सामने जाता और मंदिर के बाहर पड़ी मिट्टी को तिलक के रूप में माथे पर लगाकर वापस लौट जाता था। लेकिन वह कभी भी मंदिर के अंदर जाकर शिवलिंग की पूजा नहीं करता। वहाँ रहने वाले आसपास के लोग उन्हें जज साहब,चजज साहब कहकर पुकारा करते थे। एक समय एक व्यक्ति ने वहां मंदिर के पुरोहित से पूछा कि आखिर उन्हें यहां के लोग जज साहब जज साहब कह कर क्यूँ पुकारते है, तब पुरोहित ने सारी घटना बताई।
पुरोहित ने कहा, कि यह बात कुछ समय पहले की है जब एक गांव में भोला नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह काफी भोला और गरीब था। जब वह अपनी बेटी की शादी करने लगा तब वह गांव के जमींदार से ब्याज लिया। जब भोला ने कर्ज लिए सारे पैसे सूत समेत जमींदार वापस करने गया, तब जमींदार ने उसे एक कागज दिया जहां लिखा था कि भोला ब्याज सहित सारे पैसे चुका दिया। जिसके बाद जमींदार ने भोला से कहा, कि कागज को ध्यान पूर्वक पढ़ लो। तब भोला ने कहा जो भी हो मेरे भोलेनाथ जाने। ऐसा सुनकर जमींदार के मन में लालच भर गया और वह धोखे से कागज को बदल दिया। कुछ वक्त बीतने के बाद जमींदार भोला के खिलाफ अदालत में केस दर्ज कराया कहा भोला ने कर्ज लेने के बाद पैसे नहीं दिए हैं।
केस के दौरान भोला से काफी पूछताछ किया गया जहां भोला ने अपने तरफ से वह कागज पेश किया। जिसमें लिखा था कि भोले ने अब तक सारे पैसे नहीं चुकाए हैं। यह सुनते ही भोला ने कहा मैंने सारे पैसे चुका दिए तब जज ने भोला से पूछा कि जब आप पैसे चुकाए थे तब वहां कोई और मौजूद था। तब बोला ने कहा कि जब मैंने पैसे चुकाए थे तब मेरी सिवाय वहां केवल भोलेनाथ थे। तब अदालत ने भोलेनाथ को अदालत में पेशी करने के लिए चिट्ठी भोले के गांव भिजवा दी। अगले दिन अदालत में एक बूढ़ा आदमी पहुंचा जिसने गले में रुद्राक्ष माला पहना हुआ था। अदालत में आते ही बूढ़े व्यक्ति ने गवाही दिया की भोला बेकसूर है। जज ने जब बूढ़े व्यक्ति से सबूत मांगी तब व्यक्ति ने कहा की जमींदार के कमरे में तीसरे कवर्ड मे रखी फाइल नंबर 12 में सारे सबूत दिए गए है। जब पता लगाया गया तो वह सबूत बिल्कुल सच साबित हुई।
यह बात जज को काफी अजीब लगी तब उन्होंने भोला से पूछा कि आखिर यह व्यक्ति कौन है तो भोला ने उन्हें सारी बातें बताई जिसके बाद जज सच्चाई जानकर दंग रह गया और वह पछतावे में आकर संत की जिंदगी जीने लगा। दरअसल जज को पछतावा हुआ कि उसके अदालत में साक्षात भोले जी पधारे और वह उनसे सवाल-जवाब कर रहा था और यहां तक की वा भगवान भोलेनाथ के सामने कुर्सी में जमकर बैठा रहा इसी वजह से वह प्राया खड़ा रहता है और कभी भी मंदिर के अंदर नहीं जाता।